वाशिंगटन, 01 जनवरी (हि.स.)। इराक़ के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के आश्वासनों के बावजूद अमेरिका ने बग़दाद स्थित अपने दूतावास के राजनयिकों और कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए चार हज़ार अतिरिक्त सैन्य कर्मी भेजने का फ़ैसला किया है। उधर, ईरान समर्थित सैन्य कर्मियों और प्रदर्शनकारियों ने दूतावास का घेराव कर रखा है। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि जब तक अमेरिकी सैनिक और दूतावास कर्मी स्वदेश नहीं लौट जाते, उनका संघर्ष जारी रहेगा।
मंगलवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने इराक के राष्ट्रपति बरहम सलीह और प्रधानमंत्री से फ़ोन पर बातचीत कर राजनयिकों और दूतावास कर्मियों को पूर्ण सुरक्षा देने का आग्रह किया था। इराक़ी नेताओं ने पूर्ण सुरक्षा दिए जाने का आश्वासन भी उन्हें दिया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इराक़ी सेना दूतावास के बाहर पहुंच चुकी है। इराक़ी कमांडर प्रदर्शनकारियों को भरोसे में ले कर उनसे लौट जाने का आग्रह भी कर रहे हैं लेकिन दोनों पक्ष अपनी अपनी बातों पर अड़े हुए है।
अमेरिका के रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने मंगलवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि बग़दाद में अमेरिकी दूतावास कर्मियों की सुरक्षा के लिए 4000 सैन्य कर्मी इराक़ भेजे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि दूतावास और इसके स्टाफ़ की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी मेज़बान देश पर होती है लेकिन मौजूदा स्थितियों के मद्देनज़र इराक़ में अमेरिकी नागरिकों, राजनयिकों और दूतावास कर्मियों की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त जवान भेजा जाना अनिवार्य समझा जा रहा है।
इराक़ और सीरिया में अमेरिकी हवाई हमलों में मारे गए ईरान समर्थित सैन्य कर्मियों के जवाब में सोमवार को प्रदर्शनकारियों ने बग़दाद स्थित अमेरिकी दूतावास को घेर लिया था और एक अमेरिकी पोस्ट को आग के हवाले कर दिया था। इस पर अमेरिकी सुरक्षा गार्ड ने अश्रु गैस के गोले छोड़े और स्टेन ग्रेनेड का इस्तेमाल किया। वाशिंगटन पोस्ट की मानें तो प्रदर्शनकारी इतने उग्र थे कि दूतावास के राजनयिकों और कर्मियों को एक बड़े कमरे में ‘ठूंस’ दिया गया ताकि लीबिया में बेंग़ाजी स्थित अमेरिकी दूतावास की घटना जैसी पुनरावृत्ति को किसी तरह रोका जा सके। बेंग़ाजी दूतावास में अमेरिकी राजदूत को ज़िंदा जला दिया गया था। हालांकि इराक़ के राष्ट्रपति बरहम सलीह ने अमेरिकी दूतावास को उग्र प्रदर्शनकारियों की ओर से घेरे जाने की निंदा करते हुए दूतावास कर्मियों को पूर्ण सुरक्षा दिए जाने का आश्वासन दिया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इस पूरे कांड के लिए ईरान को दोषी ठहराया है। उन्होंने कहा है कि अमेरिका इस अंजाम के लिए ईरान समर्थित केटाब हिज़्बुल्लाह को कभी माफ़ नहीं कर सकते।