लॉस एंजेल्स, 04 जुलाई (हि.स.)। अमेरिका और ईरान के बीच ‘वाक् युद्ध’ के साथ खाड़ी में तनाव चरम सीमा पर पहुंच गया है। अमेरिकी मीडिया में फ़ोकस इस बात को लेकर है कि क्या ईरान संवर्धित यूरेनियम के साथ आणविक बम बनाने की स्थिति में आ पाएगा और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ईरान की बढ़ती आक्रामक कार्रवाई को दबाने के लिए सैन्य कार्रवाई करने की हिम्मत जुटा पाएंगे?
ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने बुधवार को अपने मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में स्पष्ट तौर पर कहा कि अमेरिकी आर्थिक प्रतिबंधों के विरुद्ध यूरोपीय देश रविवार यानि सात जुलाई तक संरक्षण देने में विफल रहते हैं तो ईरान उच्चतम श्रेणी का यूरेनियम संवर्धन बनाने का उपक्रम शुरू कर देगा, जिसे पल्यूटोनियम कहा जा सकता है।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हसन रूहानी की इस धमकी पर बुधवार दोपहर बाद ट्वीट किया। जिसमें उन्होंने लिखा, ‘सावधान, ईरान! इस बार (उनकी सेनाएं) काटने को आ सकते हैं, जो अभी तक किसी ने ऐसा नहीं काटा है।” ट्रम्प और रूहानी, दोनों नेता अभी तक यह कहते आ रहे हैं कि वह युद्ध नहीं चाहते। यह भी एक सच्चाई है कि ईरान यह भी कहता आ रहा है कि वह यूरेनियम संवर्धन शांतिपूर्ण उदेश्यों के लिए करना चाहता है। जिसका उपयोग रिएकटर में हो सकेगा, जो मेडिकल आईसोटोप के निर्माण में सहायक होंगे। ईरान ने यह वादा सन् 2015 में अमेरिका, रूस, चीन सहित यूरोपीय देशों इंग्लैंड, फ़्रांस और जर्मनी ने ‘ज्वाइंट कॉम्प्रिहेंसिव एक्शन प्लान’ के तहत आणविक डील में किया था कि वह संवर्धित यूरेनियम की मात्रा 300 किग्रा से अधिक नहीं बढ़ाएगा। साथ ही दूसरे संवर्धित यूरेनियम का इस्तेमाल आणविक हथियार बनाने में नहीं करेगा।
संयुक्त राष्ट्र में ईरान के राजदूत माजिद तख़्त रवांची ने पिछले रविवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा था कि आज उस आणविक डील का क्या औचित्य रह गया है? अमेरिका उस डील से बाहर आ चुका है और उसने एक के बाद एक प्रतिबंध लगा दिए हैं और उन प्रतिबंधों से संरक्षण देने के लिए यूरोपीय देश कदाचित तैयार दिखाई नहीं पड़ते। ऐसे में ईरान के पास क्या विकल्प बचा रह गया है। इस स्थिति को देखते हुए यूरोपीय समुदाय से आग्रह किया गया था कि वह रविवार, सात जुलाई तक मदद करने को सामने आए। आज यूरेनियम संवर्धन की मात्रा बढ़ाने का एक मात्र उद्देश्य यूरोपीय समुदाय को एक संदेश देना है।
ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने यूरोप और अमेरिका को सचेत किया है कि अब वक़्त आ गया है कि वे परस्पर मिल कर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के क़ायदे क़ानूनों के तहत फ़ैसला कर लें, अन्यथा ईरान संवर्धित यूरेनियम से पल्यूटोनियम निर्माण करने की स्थिति में आ सकते हैं, जिसका दूसरे शब्दों में आणविक हथियार बनाना होगा।