पहुंचे भारत अमेरिकी रक्षा मंत्री जनरल ऑस्टिन

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तीन दिन के दौरे में प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री और एनएसए से होगी मुलाकात  शनिवार को भारत-अमेरिका द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग पर होगी चर्चा 



नई दिल्ली, 19 मार्च (हि.स.)। ​​अमेरिका के रक्षा मंत्री जनरल लॉयड जे ऑस्टिन शुक्रवार शाम को तीन दिवसीय दौरे पर भारत पहुंच गए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन प्रशासन के लॉयड ऑस्टिन पहले अमेरिकी रक्षा मंत्री हैं, जिन्होंने अपनी पहली विदेश यात्रा में भारत को शामिल किया है।​​ 21 मार्च तक की यात्रा के दौरान वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मुलाक़ात करेंगे। भारत यात्रा के दौरान लॉयड ऑस्टिन के एजेंडे में मुख्य रूप से पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच गतिरोध का मुद्दा भी होगा, ऐसी उम्मीद जताई जा रही है।
अपनी पहली विदेश यात्रा पर निकले लॉयड ऑस्टिन जापान और दक्षिण कोरिया के बाद शुक्रवार शाम नई दिल्ली पहुंचे। एयरपोर्ट पर तीनों सेनाओं की ओर से ऑस्टिन का स्वागत किया गया। वह शनिवार को सुबह 9 बजे राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जाकर माल्यार्पण करेंगे और वहीं गार्ड ऑफ ऑनर दिया जायेगा। इसके बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और ऑस्टिन सुबह 10.30 बजे आमने-सामने की मुलाक़ात करेंगे और इसके बाद द्विपक्षीय प्रतिनिधिमंडल के साथ वार्ता होगी। भारतीय प्रतिनिधिमंडल में रक्षा सचिव अजय कुमार और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह, सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे और एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया भी शामिल होंगे। इसके बाद संयुक्त प्रेस वक्तव्य जारी किया जायेगा।
सूत्रों का कहना है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग मुद्दे पर बैठक होगी, न कि सैन्य सौदों के बारे में। इस दौरे में किसी सौदे पर हस्ताक्षर होने की संभावना नहीं है लेकिन कुछ परियोजनाओं पर चर्चा हो सकती है। लॉयड ऑस्टिन की इस पहली भारत यात्रा का मकसद एक दूसरे को जानना और समझना है कि चीन की जारी आक्रामकता के बीच दोनों देशों में रक्षा और रणनीतिक सहयोग को कैसे आगे बढ़ाया जा सकता है। इस दौरे में अमेरिकी रक्षा मंत्री की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर के साथ भी बैठक होनी है। इस महीने की शुरुआत में अमेरिका ने अपना अंतरिम राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीतिक मार्गदर्शन जारी किया था, जिसमें राष्ट्रपति जो बिडेन ने भारत के साथ अमेरिका की साझेदारी को गहरा बनाने का आह्वान किया था।
हालांकि अमेरिका भारतीय वायु सेना और नौसेना के लिए मानव रहित हवाई प्रणाली के अलावा सशस्त्र ड्रोन और मिड-एयर रिफ्यूलर सहित लड़ाकू विमानों की संभावित बिक्री के लिए बातचीत कर रहा है। भारत को भी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन द्वारू शुरू की गई रूसी एस-400 वायु रक्षा प्रणाली, परमाणु पनडुब्बी और अन्य प्रमुख परियोजनाओं को पट्टे पर लेने के लिए उन अमेरिकी प्रतिबंधों से छूट मिलने की संभावना है, जो ‘काउंटरिंग अमेरिका एडवाइजर्स थ्रू सैंक्शंस एक्ट’ (सीएएटीएसए) के तहत लगाये गए हैं। भारत ने ट्रम्प प्रशासन से कहा था कि रूस के साथ समझौते महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि भारत के सैनिक काफी हद तक रूसी उपकरणों का उपयोग करते हैं। भारत के अन्य देशों के साथ संबंध अपनी दृष्टि से निर्देशित होते हैं न कि किसी तीसरे राष्ट्र के नजरिये से।

 


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