वाशिंगटन, 08 जनवरी (हि.स.)। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दावा किया है कि ईरान की ओर से बुधवार तड़के इराक़ के पश्चिम में दो अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर कुल 15 मिसाइल/राकेट दागे गए थे, जिसके लिए सैन्यकर्मी पहले से तैयार थे। ट्रम्प ने एक ट्वीट में यह दावा करते हुए कहा कि इन हमलों में अमेरिकी अथवा नाटो देश का एक भी सैनिक हताहत नहीं हुआ है।
इराक़ के पश्चिम में ऐन अल-असद और इर्बिल अड्डों पर मिलिट्री ठिकाने हैं, जहां अमेरिका और नाटो सदस्यों के क़रीब छह साढ़े हज़ार सैनिक हैं, जो चार वर्ष पूर्व इराक़ सरकार के निमंत्रण पर इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों को हटाने अथवा मिटाने के लिए बुलाए गए थे। नाटो सदस्य देश कनाडा, जर्मनी और क्रोशिया के कुछ सैनिकों को कुवेत और जॉर्डन भेजा जा रहा है। ईरान द्वारा किये गए हमलों के बाद रक्षा मंत्री मार्क टी एस्पर ने पेंटागन स्थित सभी उच्चाधिकारियों, रक्षा सेवाओं में जुड़े सभी विभागों और कर्मचारियों को मुस्तैद रहने को कहा है। ईरान ने बुधवार को हमले में कुइम-1 और फ़तह-110 एस मिसाइलों का उपयोग किया था। ईरान का मुख्य लक्ष्य है कि खाड़ी में अमेरिकी सेनाएं नहीं रहें। इज़राइल ने सुलेमानी की मौत के मामले में पल्ला झाड़ लिया है। इज़राइल के कार्यवाहक प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि इज़राइल का सुलेमानी की ड्रोन हवाई हमले में मृत्यु से कोई लेना देना नहीं है।
सुलेमानी को अंतिम विदाई
अमेरिकी प्रशासन की नज़रों में एक ख़ूंख़ार सैन्य अधिकारी और ईरान के कुद्स सेना के कमांडर क़ासिम सुलेमानी की शुक्रवार को बग़दाद अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर अमेरिकी ड्रोन हमले में मृत्यु के बाद सुप्रीम लीडर आयतुल्ला खुमेनी ने धमकी दी थी कि वह इस इस नृशंस हत्या का बदला लेंगे। उन्होंने मंगलवार को तेहरान में सुलेमानी को एक नायाब शहीद के रूप में अश्रूपूर्ण नेत्रों से विदाई दी। ईरान में इस्लामिक देश की स्थापना के प्रथम सर्वोच्च लीडर आयतुल्ला रोहतुल्ला खुमेनी की मृत्यु के बाद कुद्स कमांडर सुलेमानी पहले ऐसे बड़े व्यक्तित्व उभर कर आए हैं कि मंगलवार की सायं लाखों लोगों की भीड़ में उन्हें उनके गृह नगर कर्मन में पूरे सम्मान के साथ दफ़ना दिया गया। भीड़ इतनी थी कि भगदड़ में 56 लोग कुचल कर मारे गए।
डेमोक्रेट को ट्रम्प के निर्णय पर आपत्ति
राष्ट्रपति पद के संभावित उम्मीदवार और पूर्व राष्ट्रपति जोई बिडेन और एक अन्य संभावित उम्मीदवार तथा वाम मार्गी बर्नी सैंडर्स ने सुलेमानी की ड्रोन हमले में मौत के घाट उतारे जाने के ट्रम्प के निर्णय पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा है कि इस तरह के निर्णय लेने से पहले कांग्रेस को विश्वास में लेना चाहिए था। उन्होंने कहा कि ट्रम्प विदेश नीति में पूरी तरह विफल रहे हैं। इसके विपरीत रिपब्लिकन नेताओं ने ट्रम्प के निर्णय का स्वागत किया है और कहा है कि सभी वर्गों को पार्टी लाइन से ऊपर खड़े हो कर राष्ट्रपति का समर्थन करना चाहिए।
प्रतिनिधि सभा में स्पीकर नैंसी पेलोसी ने कहा है कि युद्ध नहीं, शांति चाहिए। उनका कहना था कि दुनिया एक और युद्ध का भार झेलने को तैयार नहीं है। पूर्व मिलिट्री जनरल जान एलन ने भी ट्रम्प के निर्णय को कुतर्क पूर्ण और आवेग में लिया फ़ैसला बताया है। इस पर ट्रम्प ने अपने निर्णय को एक बार फिर सही ठहराया है। पेंटागन ने अपनी ख़ुफ़िया रिपोर्ट के बल पर कहा है कि सुलेमानी का ख़ात्मा नहीं किया जाता तो वह एक बड़े हमले में राजनयिकों और सैन्य कर्मियों की जान के लिए ख़तरा बन सकता था।