एच 1-बी आईटी कर्मियों के मुद्दे पर ट्रम्प पर बढ़ रहा दबाव
‘बाय अमेरिकन, हायर अमेरिकन’ नीति पर एरिज़ोना रिपब्लिकन सांसद पोल गोसर ने राष्ट्रपति ट्रम्प को एक पत्र लिख कर आग्रह किया है कि वह कार्यकारी निर्देश के तहत एच 1-बी अस्थाई रोज़गार सेवा और ओपीटी के अंतर्गत अमेरिका में पढ़ रहे विदेशी छात्रों को रोज़गार जुटाने की बजाए अमेरिका के लाखों युवाओं को रोज़गार दें और उनका नेतृत्व करें।
लॉस एंजेल्स, 18 जून (हि.स.)। एच 1-बी वीजाधारक आईटी कर्मियों को रोज़गार दिए जाने की दो दशक पुरानी नीति को निरस्त किए जाने और एफ -1 स्टूडेंट वीज़ा के तहत विदेशी छात्रों को ‘ऑपशनल ट्रेनिंग प्रोग्राम’ (ओपीटी) के अंतर्गत रोज़गार दिए जाने के खिलाफ रिपब्लिकन सदस्यों का राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पर लगातार दबाव बढ़ रहा है।
‘बाय अमेरिकन, हायर अमेरिकन’ नीति पर एरिज़ोना रिपब्लिकन सांसद पोल गोसर ने राष्ट्रपति ट्रम्प को एक पत्र लिख कर आग्रह किया है कि वह कार्यकारी निर्देश के तहत एच 1-बी अस्थाई रोज़गार सेवा और ओपीटी के अंतर्गत अमेरिका में पढ़ रहे विदेशी छात्रों को रोज़गार जुटाने की बजाए अमेरिका के लाखों युवाओं को रोज़गार दें और उनका नेतृत्व करें।
विदित हो कि बाय अमेरिकन, हायर अमेरिकन नीति के अनुसार ट्रम्प के सत्तारूढ़ होने के पश्चात पिछले ढाई वर्षों में एच 1-बी वीजाधारक आईटी कर्मियों के वीज़ा के नवीकरण में अड़चनें आ रही हैं, जबकि आईटी कर्मियों पर निर्भर एच -4 के तहत उनकी स्पाउज को रोज़गार दिए जाने का मामला अदालत में लटका हुआ है। इससे लाखों भारतीय आईटी कर्मियों, एच -4 स्पाउज की गर्दन पर तलवार लटकी हुई है। एरिज़ोना से सासद पाॅल गोसर ने इस दिशा में कांग्रेस के निम्न सदन प्रतिनिधि सभा में एक विधेयक लाने की भी घोषणा की है। उन्होंने कहा है कि अमेरिकी विश्वविद्यालयों में विदेशों से आए लाखों स्टूडेंट को स्नातकोत्तर डिग्री हासिल करने के बाद रोज़गार देने का कोई औचित्य नहीं है,जबकि अमेरिकी युवा रोज़गार के लिए तरस रहे हैं।
गोसर के कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि वह अगले दो सप्ताह में ” फ़ेयरनेस फ़ाॅर हाई स्किल्ड अमेरिकन एक्ट -2019” कांग्रेस में प्रेषित करेंगे। बयान में कहा गया है कि पिछले एक दशक में विदेशी आईटी कर्मियों को अस्थाई रोज़गार दिए जाने वाले इस एक्ट की वजह से चार सौ गुना रोज़गार की वृद्धि हुई है। विज्ञान, प्रद्योगिकी एवं गणित के क्षेत्र में रोज़गार दिए जाने से सैन होजे और सैन फ़्रांसिस्को में विदेशी आईटी कर्मियों की भरमार होती जा रही है।
विदित हो कि गोसर के विधेयक के विपरीत पिछले फ़रवरी महीने में कैलिफ़ोर्निया के डेमोक्रेट सांसद जोइ लोफ़्ग्रेन ने भी प्रतिनिधि सभा में एक विधेयक प्रस्तुत किया था। इस विधेयक में एच 1- बी वीजाधारक आईटी कर्मियों को निर्धारित वीज़ा अवधि के पश्चात स्थाई निवासी का दर्जा अर्थात ग्रीन कार्ड दिए जाने पर ज़ोर दिया गया था। साथ ही ग्रीन कार्ड के लिए प्रति देश दो प्रतिशत के कोटे को भी ख़त्म कए जाने पर ज़ोर दिया गया था। इतना ही नहीं इसमें परिवार आधारित वीज़ा में विस्तार किए जाने का भी उल्लेख किया गया था। लेकिनयह विधेयक भी ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है।
पियु रिसर्च डेटा के अनुसार वर्ष 2004 से 2016 के बीच पंद्रह लाख विदेशी स्नातकों को अमेरिकी काॅलेजों और विश्मेंवविद्यालयों में प्रवेश दिया गया । इनमें से 53 प्रतिशत स्टेम (साइंस, टेक्नोलाजी तथा गणित) के अंतर्गत विदेशी छात्रों को रोज़गार के अधिकार दिए गए।सन 2017 में इस श्रेणी में दो लाख 76 हज़ार 500 विदेशी छात्रों को रोज़गार के अधिकार मिले। यह आठ प्रतिशत था, जबकि इससे पूर्व 34 प्रतिशत विदेशी छात्रों को रोज़गार मिलता रहा है।