नई दिल्ली, 30 अक्टूबर (हि.स.)। कारगिल में 18 हजार फीट ऊंची बर्फ की चोटियों से पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ने का अनुभव रखने वाली भारतीय सेना से अमेरिकी सैनिकों ने ‘ठंड’ में युद्ध लड़ने के तरीके सीखे हैं। भारतीय जांबाजों ने अमेरिकी जवानों को दुनिया के सबसे ऊंचे और ठंडे आर्कटिक क्षेत्र में अलास्का की बर्फीली चोटियों पर 14 दिनों तक कठोर सर्दियों के दौरान युद्ध लड़ने के गुर सिखाये। भारत और अमेरिकी सेना की टुकड़ियों ने ‘युद्धभ्यास’ के आखिरी चार दिन अलास्का की दो ऊंची चोटियों पर फाइनल ड्रिल की। अमेरिकी सैनिकों ने भारतीय सेना से प्रशिक्षण लेने में आर्कटिक युद्ध पर ध्यान केंद्रित किया।
अलास्का के संयुक्त बेस एल्मेंडोर्फ रिचर्डसन में भारत-अमेरिका संयुक्त अभ्यास के 17वें संस्करण में सत्यापन अभ्यास के दौरान दोनों देशों की चार मिली-जुली टुकड़ियां तैयार की गईं और चारों टुकड़ियों को हमले करने के लिए दो-दो दिन का वक्त दिया गया। इस अभ्यास के लिए अमेरिकी सेना के चिनूक हेलीकॉप्टर्स और मिलिट्री-व्हीकल्स के जरिए चारों टुकड़ियों को वॉर-जोन में भेजा गया। इस दौरान बेहद ऊंचाई और बर्फ से ढके दो पहाड़ों पर दोनों देशों की सेनाओं ने हमला बोला। दोनों देशों के सैनिकों ने इन दोनों काल्पनिक सम्मिट, जेरोनिमो और साइट-सम्मिट पर हमला कर अपना कब्ज़ा जमाया।
भारतीय सेना की ओर से 7वीं बटालियन एवं मद्रास रेजिमेंट के सैनिकों ने और अमेरिकी सेना की ओर से चौथी इन्फैंट्री ब्रिगेड कॉम्बैट टीम (एयरबोर्न) एवं 25वीं इन्फैंट्री डिवीजन से पैराट्रूपर्स ने इस दौरान विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये। चार में से दो-दो टुकड़ियों की जिम्मेदारी अमेरिकी सेना और भारतीय सैन्य-अधिकारियों के बीच बांटी गई थी। अभ्यास का मकसद शुरुआती दस दिनों के भीतर ठंडे मौसम में युद्ध-कौशल को निखारना था। इसके साथ ही आर्कटिक क्षेत्र में सैनिकों की सर्वाइवल-प्रैक्टिक्स और मिलिट्री-ट्रेनिंग को अंजाम देना था ताकि दोनों देशों की सेनाएं छोटी-छोटी टुकड़ियों में अत्यधिक ठंड में युद्ध का अभ्यास कर सकें।
अभ्यास के आखिरी दौर में दोनों देशों की टुकड़ियों ने काउंटर अनमैनड एरियल सिस्टम यानि काउंटर ड्रोन और काउंटर-आईईडी ड्रिल का भी अभ्यास किया। इसके अलावा ठंडे मौसम और बर्फ में दोनों देशों की सेनाओं ने योग और शारीरिक व्यायाम भी किये। दोनों देशों के सैनिकों ने एक दूसरे के हथियारों पर भी हाथ आजमाए। यह युद्धाभ्यास भारत और अमेरिका की सेनाओं के बीच हर साल एक-दूसरे के देशों में होता है। यानी इस साल यह अभ्यास अमेरिका के अलस्का में हुआ है तो अगले साल भारत में होगा।