लॉस एंजेल्स, 03 जनवरी (हि.स.)। अमेरिका के विभिन्न बड़े शहरों में भारतीय नागरिकता अधिनियम (सीएए) पर हज़ारों युवाओं ने जन जागरण अभियान शुरू कर दिया है। न्यू यॉर्क, आस्टिन (टेक्सास), सिएटल (वाशिंगटन) के बाद शुक्रवार को शिकागो में सैकड़ों युवा हाथों में बैनर और प्ले कार्ड के साथ प्रदर्शन करेंगे। इस का आयोजन इंडियन हैरीटेज एंड कल्चरल फ़ाउंडेशन ने किया है। युवाओं का कहना है कि वह पार्टी लाइन से ऊपर उठ कर मानवीय अधिकारों के संरक्षण को ध्यान में रखते हुए जन जागरण कर रहे हैं।
एक वक्तव्य में कहा गया है कि इस जागरण का एक उद्देश्य यह भी है कि भारत में कुछ लोग राजनैतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए समाज में झूठ फैला रहे है और अपना उल्लू सीधा करने के लिए अनर्गल बातें कर रहे हैं। वक्तव्य में कहा गया है कि अमेरिका में वामपंथी और दिग्भ्रमित मुस्लिम भी वही काम कर रहे हैं, जिसकी किसी ने कल्पना नहीं की थी। अमेरिका में पिछले बीस वर्षों से रह रहे हैदराबाद से आईटी कर्मी अरविंद मोडिनी ने कहा है कि इस एक्ट को धार्मिक रंग देना और भी शर्मनाक है। उन्होंने कहा है कि 31 दिसम्बर, 2014 से पूर्व अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान में धर्म के आधार पर यातना के शिकार हिंदू, पारसी, जैन, बौद्ध आदि लोगों को नागरिकता दी जाती है तो इसमें ग़लत क्या है? वह भी तब जबकि मुस्लिम को आर्थिक और राजनीतिक कारणों से नागरिकता दिए जाने का मार्ग बंद नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि इन तीनों देशों में इस्लामिक सरकारें हैं और वे भला अपने ही समुदाय के लोगों को प्रताड़ना क्यों देगी? इन विषयों पर जगह जगह रैलियों के अलावा गोष्ठियाँ भी आयोजित की जा रही हैं।
शिकागो में बहुचर्चित भारतीय अमेरिकी डाक्टर भारत बर्राइ ने कहा कि यहां सवाल यह उठता है कि पाकिस्तान, बांग्ला देश और अफ़ग़ानिस्तान में वहां की सरकारें अल्पसंख्यकों की प्रताड़ना कर रही हैं, और उन्हें हताश निराश हो कर भारत का मुंह करना पड़ रहा है? बेहतर होगा भारत में अल्प संख्यकों के हिमायती बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान से यह तो पूछा जाए कि उन्हें अल्प संख्यक वर्ग को प्रताड़ित करने में क्या आनंद मिलता है?