वाशिंगटन, 20 जून (हि.स.)। अमेरिका ने भारत से कहा है कि वह ऐसे देशों के लिए एच 1 बी वीजा की सीमा तय तय करने पर विचार कर रहा है जो विदेशी कंपनियों को स्थानीय स्तर पर डेटा संग्रहित करने के लिए दबाव डाल रहे हैं।
विदित हो कि अमेरिका और भारत के बीच व्यापार और शुल्क को लेकर विवाद चल रहा है। इस बीच इस तरह के बयान से दोनों देशों के बीच मतभेद और भी गहरे हो जाएंगे। हालांकि ये बातें अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो के नई दिल्ली दौरे से एक दिन पहले सामने आई है। दरअसल, एच 1बी वीजा कार्यक्रम के तहत हर साल विदेशी कुशल श्रमिक अमेरिका आते हैं जिसे ट्रंप प्रशासन सीमित करना चाहता है।
उल्लेखनीय है कि डेटा संग्रहण के लिए कठोर भारतीय नियम से मास्टर कार्ड जैसी अमेरिकी कंपनी विचलित हो गई है। इसके अलावा व्यापार शुल्क मामले में भी भारत अमेरिका के साथ जैसा को तैसा व्यवहार कर रहा है। हाल में भारत ने अमेरिकी वस्तुओं पर भारी शुल्क लगा दिया है। इन सब चीजों की वजह अमेरिका की नाराजगी बढ़ गई है और वह एच 1 बी वीजा को सीमित करना चाहता है जिसका सबसे ज्यादा लाभार्थी भरतीय कुशल कर्मी हैं जो भारतीय आईटी फर्मों में यहां काम करते हैं।
अमेरिका के इस कदम से भारत के 150 अरब डॉलर का आईटी क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित होगा। भारतीय कंपनिया खास कर टीसीएस, विप्रो और इंफोसिस अपने इंजीनियर्स को अमेरिकी क्लाईंट को सेवा प्रदान करने के लिए अमेरिका भोजते हैं। इस खबर के आने के बाद विप्रो के शेयर चार प्रतिशत, जबकि इंफोसिस एवं टीसीएस के शेयर दो-दो प्रतिशत गिर गए हैं।