नई दिल्ली/धर्मशाला, 29 अक्टूबर (हि.स.)। अमेरिका ने कहा है कि धर्मगुरु दलाई लामा का पुनर्जन्म कहां और और कब होगा यह तय करने का अधिकार केवल तिब्बती लोगों को है। तिब्बती बौद्ध परम्परा से ही यह तय होगा कि वर्तमान दलाई लामा का उत्तराधिकारी कौन होगा।
अमेरिकी प्रशासन के धार्मिक स्वतन्त्रता सम्बन्धी राजदूत सैमुएल डी. ब्राउनबैक ने विश्व समुदाय विशेषकर चीन सरकार को यह सन्देश दिया कि दलाई लामा का उत्तराधिकारी तय करने का अधिकार किसी देश की सरकार को नहीं है। यह तिब्बती लोग और तिब्बती धार्मिक नेता अपनी परम्परा के अनुसार ही तय करेंगे।
अमेरिकी राजनयिक ब्राउनबैक ने आज हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में दलाई लामा से भेंट की और उनसे तिब्बत के हालात पर चर्चा की। निर्वासित तिब्बती सरकार के प्रमुख डॉ लोबसांग सांगय ने उन्हें धर्मशाला आने का निमत्रण दिया था। भारत सरकार से हरी झंडी मिलने के बाद अमेरिकी राजदूत की यह यात्रा संभव हो पाई।
उल्लेखनीय है कि चीन सरकार वर्तमान दलाई लामा के भावी उत्तराधिकारी को लेकर बहुत सशंकित है। उसका दावा है कि अगला दलाई लामा कौन होगा यह बात चीनी आधिपत्य वाला तिब्बत ही तय करेगा। चीन अपने क्षेत्र में दलाई लामा के पुनर्जन्म की खोज कर उसे सर्वोच्च धर्मगुरु के रूप में प्रतिष्ठापित करना चाहता है।
दूसरी ओर वर्तमान दलाई लामा यह कह चुके हैं कि उनका उत्तराधिकारी भारत या दुनिया के किसी भी देश में जन्म ले सकता है। अपने देहावसान के पहले कोई दलाई लामा पुनर्जन्म सम्बन्धी कुछ लक्षणों की जानकारी दे जाता है।
तिब्बती परंपरा के अनुसार दलाई लामा के निर्वाण के बाद निश्चित लक्षणों के आधार पर नवजात शिशुओं का अवलोकन कर अवतार का निर्धारण किया जाता है।
अमेरिकी राजदूत ने तिब्बत में धार्मिक स्वतन्त्रता की दयनीय दशा पर चिंता व्यक्त की कारण तिब्बतियों को भारत और अन्य देशों में शरण लेनी पड़ी है।