लॉस एंजेल्स, 24 अगस्त (हि.स.)। फ्रांस में ग्रुप-सात देशों के शिखर सम्मेलन की पूर्व संध्या पर अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध नई बुलंदियों पर पहुंच गया है। अमेरिका ने 300 अरब डॉलर के चीनी उत्पादों पर सीमा शुल्क बढ़ाए जाने के विरोध में शुक्रवार को चीन ने 110 अरब डॉलर के अमेरिकी उत्पादों पर सीमा शुल्क लगाकर आग में घी डालने का काम किया है। मेज़बान फ़्रांस के राष्ट्रपति एमेनुएल मैक्रों ने वैश्विक मंदी की आशंका जताते हुए ग्रुप-सात देशों की बैठक में इस पर विचार विमर्श किए जाने की ज़रूरत पर बल दिया। भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी फ़्रांस पहुंच चुके हैं। अमेरिकी सीमा शुल्क की वृद्धि के जवाब में चीन ने एक सितंबर से सीमा शुल्क लगाए जाने की घोषणा की है, जिसका प्रभाव 15 दिसंबर से होगा।
चीन ने उन अमेरिकी उत्पादों को निशाना बनाया है, जो अगले वर्ष होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में ट्रम्प मतदाताओं के हितों पर सीधे चोट करते हैं। अमेरिका के मिड वेस्ट और साउथ में जहां ट्रम्प की बड़ी संख्या में किसान मतदाता हैं, जो सोया की खेती करते हैं तो साउथ कैरोलाइना और अल्बामा में ऑटोमोबाइल के कल कारख़ाने हैं, जहां आटो मज़दूर बड़ी संख्या में उनके हितैषी हैं। इसके अलावा चीन ने अमेरिकी उत्पादों में पोर्क, बीफ़ और चिकन पर सीमा शुल्क में दस प्रतिशत की अतिरिक्त वृद्धि की है। चीन ने अमेरिकी सोया, जर्मनी की दो बड़ी ऑटो कंपनियों बीएमडब्ल्यू और डैयामलेर एजी तथा दक्षिण में कच्चे तेल पर सीमा शुल्क लगाए हैं। ट्रम्प ने दावा किया है कि चीनी सीमा शुल्क में वृधि से कंपनियां बंद नहीं होंगी, बल्कि नए मज़दूरों को रोजगार मिल सकेगा। अमेरिकी कारों पर दस प्रतिशत अतिरिक्त सीमा शुल्क लगाए जाने के बाद चीन में अमेरिकी आयातित कारों पर 50 प्रतिशत सीमा शुल्क हो जाएगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शुक्रवार को ट्वीट करते हुए अमेरिकी निर्माताओं को आदेश दिया है, हमें चीन नहीं चाहिए। हमारी ग्रेट अमेरिकी कंपनियों को चीन का वैकेल्पिक बंदोबस्त करना ही होगा। अमेरिका ने चीन के साथ कारोबार में खरबों डालर गँवाए हैं। अब वह और ख़ामियाज़ा भुगतने को तैयार नहीं है।