नई दिल्ली, 02 जुलाई (हि.स.)। भारत के नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक कार्यालय में गुरुवार को एक अद्वितीय शहरी वन स्थापित किया गया। इसका उद्घाटन करते हुए केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि यह एक घना शहरी जंगल होगा जिसमें आने वाले समय में 59 देसी प्रजातियों के 12000 पौधे लगाए जाएंगे। जावडेकर ने शहरी वनों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ये शहरी वन हमारे शहरों के फेफड़े हैं और ऑक्सीजन बैंक तथा पर्यावरण से कार्बन घटाने के तंत्र के रूप में काम करते हैं। उन्होंने इस बात की सराहना की कि इस वन के निर्माण में मियावाकी तरीके का इस्तेमाल किया गया है जिससे तापमान में 14 डिग्री तक कमी और नमी में 40 प्रतिशत से अधिक बढ़ोतरी करने में मदद मिल सकती है।
गौरतलब है कि दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) वर्षों से चिंता का कारण बना हुआ है। इसके अलावा नई दिल्ली की आईटीओ क्रॉसिंग ने विशेष रूप से वायु प्रदूषण का उच्च स्तर छू लिया है। इस तरह वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर और इस संबंध में सामुदायिक जिम्मेदारियों को ध्यान में रखते हुए दिल्ली के बहादुर शाह ज़फर मार्ग स्थित भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक कार्यालय ने कार्यालय पार्क में एक शहरी वन स्थापित करने के लिए कदम उठाए हैं। कार्यालय पार्क में सीमित क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए इसके गहन वनीकरण के लिए स्थानीय सामग्री का इस्तेमाल किया गया है। इस वन में स्थानीय पेड़ों को लगाया गया है जो तीन आयामी, बहुस्तरीय समुदाय के हैं और जो एकल-स्तरीय लॉन की हरियाली के सतह क्षेत्र का 30 गुना है। प्राकृतिक आपदाओं से बचाने और पर्यावरण के संरक्षण के लिए इस वन की क्षमता 30 गुना से अधिक है।
सिंचाई और निराई-गुड़ाई सहित न्यूनतम रख-रखाव के साथ यह शहरी वन अक्टूबर-2021 तक स्वत: टिकाऊ हो जाएगा। शहरी वन एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र है जो पक्षियों, मधुमक्खियों, तितलियों और ऐसे ही अन्य सूक्ष्म जीव-जंतुओं के लिए निवास स्थान बन सकता है। ये फसलों और फलों के परागण के लिए और एक संतुलित पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में मदद करने के लिए आवश्यक हैं। इस शहरी वन में लगाए गए कुछ दुर्लभ देशी प्रजातियों में एनोगेइसस पेंडुला (ढोंक), डायोस्पायरस कॉर्डिफ़ोलिया (बिस्तेंदु), एह्रेतिया लाएविस (चामरोड), राइटिया टिंक्टोरिया (दूधी),मित्राग्ना परविफ़ोलिया (कैम), ब्यूटिया मोनोस्पर्मा (पलाश),प्रोसोपिस सिनेरेरिया (खेजरी), क्लेरोडेंड्रम फ़्लोमिडिस (अरनी), ग्रेविआ एशियाटिका (फालसा),फीनिक्स सिल्विस्ट्रिस (खजूर) और हेलिसटेरेस इसोरा (मरोडफाली) शामिल हैं। पौधों की ये चुनी गई प्रजातियां दिल्ली की संभावित प्राकृतिक वनस्पति का हिस्सा हैं और इस क्षेत्र जलवायु और मिट्टी के लिए सबसे उपयुक्त हैं।
भारत के सीएजी कार्यालय का मानना है कि इस तरह की पहल खासकर शहरों में हमें बेहतर पारिस्थितिक संतुलन की स्थिति की ओर बढ़ने में मदद करेगी। यह दिल्ली के पारिस्थितिकी तंत्र में एक छोटा-सा लेकिन महत्वपूर्ण योगदान है जो लोगों को अपने प्राकृतिक परिवेश को पुनः प्राप्त करने के लिए प्रेरित कर सकता है। हाल ही में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर सरकार ने अगले 5 वर्षों में देश भर में 200 शहरी वन विकसित करने के लिए नगर वन योजना को लागू करने की घोषणा की है। इसमें लोगों की भागीदारी और वन विभाग,नगर निकायों, गैर सरकारी संगठनों,कॉर्पोरेट और स्थानीय नागरिकों के बीच सहयोग पर जोर दिया जाएगा।