बिहार की राजनीति में अपने वजूद को तलाश रहे हैं उपेंद्र कुशवाहा
पटना, 30 जून (हि स)। कभी एनडीए के साथ केंद्रीय राजनीति में जगमगाने वाले उपेंद्र कुशवाहा आज बिहार की राजनीति में अपना वजूद तलाश रहे हैं। वर्ष 2014 में लोकसभा में मोदी लहर के सहारे तीन सीट पर अपनी उपस्थिति दर्ज करायी थी। इसके बाद भी एनडीए ने इन्हें यानी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी को मंत्रिमंडल में एक सीट देकर सम्मान दिया। रालोसपा बनाने वाले एक मध्य बिहार से आने वाले सवर्ण नेता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से काफी अनुनय विनय कर कुशवाहा को मंत्री बनवाया था।
नीतीश कुमार को लेकर बौखलाहट रही की जनाब एनडीए से अलग हो गए और महागठबन्धन का सहारा मिला। 2019 के लोकसभा चुनाव में 2-2 जगहों से खड़े हुए लेकिन दोनों जगहों पर औंधे मुँह गिर गए। विडम्बना देखिये पटखनी खाने के बाद खड़े हुए तो ऐसे जैसे कुछ हुआ ही न हो।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि ये अपनी समीक्षा करने के बजाय दूसरों की परीक्षा लेने और परिणाम देने में ज्यादा ही व्यस्त रहते हैं। कई चुनाव में कुशवाहा टाइटिल भी इनका कामयाब होता नहीं दिखता, इनकी स्थिति ऐसी है कि अपनी बिरादरी का 20 प्रतिशत वोट भी अपने पाले में कामयाब नहीं हो सके। अब आगे देखना ये है कि उपेंद्र कुशवाहा महागठबंधन में किस कदर फिट बैठाते हैं या फिर तीसरे गठबंधन का हिस्सा बनकर अपनी नईया को पार लगाने में सफल होंगे। यह तो आने वाला समय ही बताएगा।