उप्र एसआईटी ने शासन को सौंपी रिपोर्ट, पांच आईपीएस पर कार्रवाई की सिफारिश
लखनऊ, 27 फरवरी (हि.स.)। प्रदेश के पांच आईपीएस अफसरों पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के बाद विशेष जांच दल (एसआईटी) ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है जिसमें किसी भी अफसर को बेदाग नहीं माना गया है। जांच में फंसे सभी अफसरों के खिलाफ की अलग-अलग प्रकार की कार्रवाई की संस्तुति की गई है। इससे पहले भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे पांचों आईपीएस अफसरों ने खुद पर लगे आरोपों को बेबुनियाद बताया था।
गौतमबुद्धनगर के तत्कालीन एसएसपी वैभव कृष्ण के गोपनीय पत्र लीक होने के मामले में शासन ने बीती नौ जनवरी को डीजी विजिलेंस और वर्तमान में कार्यवाहक डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय एसआईटी गठित कर भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के निर्देश दिए थे। एसआईटी में आईजी एसटीएफ अमिताभ यश व उप्र जल निगम के प्रबंध निदेशक विकास गोठलवाल को बतौर सदस्य शामिल किया गया था। एसआईटी ने जांच पूरी होने के बाद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के जनपदों में तैनात दो आईपीएस अफसरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की संस्तुति की गई है। इन दोनों आईपीएस अफसरों के खिलाफ डिजिटल और मोबाइल डिटेल से आरोप पुख्ता हुए हैं। तीन अन्य आईपीएस अफसरों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की संस्तुति की गई है। इन आईपीएस अफसरों के खिलाफ सिफारिश के लिए बातचीत के सुबूत पाये गये हैं।
सूत्रों के मुताबिक डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी ने जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी है। गौतमबुद्धनगर के पूर्व एसएसपी वैभव कृष्ण की लिखित शिकायत पर एसआईटी पांच आईपीएस अफसरों के खिलाफ जांच कर रही थी। इसमें गाजियाबाद के एसएसपी रहे सुधीर कुमार सिंह, रामपुर के एसपी रहे अजय पाल शर्मा, बांदा के एसपी रहे गणेश प्रसाद साहा और सुल्तानपुर के एसपी रहे हिमांशु कुमार शामिल थे। इसके अलावा कुशीनगर में एसपी रहे राजीव नारायण मिश्रा पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। आरोप लगने से पहले ही उन्हें कुशीनगर से हटाकर एसटीएफ का एसएसपी बना दिया गया था। जनवरी में भ्रष्टाचार का मामला उजागर होने के बाद इन सभी पांचों आईपीएस अधिकारियों को उनके पदों से हटा दिया गया था। एसआईटी गोपनीय पत्र लीक करने के मामले में वैभव कृष्ण के खिलाफ भी जांच कर रही है।