उप्र के 21 जिलों में 32 हजार शरणार्थी

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सरकार ने शरणार्थियों का विवरण तैयार करने के लिए सभी डीएम को दिए निर्देश



लखनऊ, 14 जनवरी (हि.स.)। योगी सरकार ने नागरिकता संशोधन एक्ट (सीएए) बनने के बाद गैर-मुस्लिम शरणार्थियों की पहली सूची तैयार करना शुरू कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक अब तक 32 हजार से ज्यादा शरणार्थी चिन्हित किए जा चुके हैं और ये प्रक्रिया अभी जारी है।

सर्वे जारी, अपडेट होते रहेंगे आंकड़े
प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री एवं प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा के मुताबिक राज्य के 21 जनपदों में 32000 से ज्यादा शरणार्थियों की पहचान हो गई है। प्रदेश में सीएए को लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है और सभी जिलाधिकारियों को शरणार्थियों का सही ब्यौरा जुटाने के लिए कहा गया है। उन्होंने कहा कि हमने इसे अभी शुरू किया है। जैसे ही कानून लागू हो गया है, हमें आगे बढ़ने की जरूरत है। ये आंकड़े अपडेट होते रहेंगे। जिलाधिकारियों से सर्वे करने और अपडेट करते रहने को कहा गया है। हम इस सूची को केन्द्रीय गृह मंत्रालय के साथ साझा करने की भी प्रक्रिया में हैं।
डंके की चोट पर सताए हुए शरणार्थियों को मिलेगी नागरिकता
श्रीकांत शर्मा के मुताबिक विभाजन के समय पाकिस्तान में हिंदूओं की संख्या 23 प्रतिशत थी, आज 3 प्रतिशत रह गई। वहां बहन-बेटियों से बलात्कार, अपहरण कर धर्म परिवर्तन आम बात है। ऐसे हालात में सीएए सपोर्ट बहुत जरूरी है। हम शरणार्थियों को नागरिकता देंगे, उन्हें दोबारा नरक में नहीं जाने देंगे। हम डंके की चोट पर सताए हुए शरणार्थियों को नागरिकता देंगे।
पीलीभीत में सबसे ज्यादा शरणार्थी
सूत्रों के मुताबिक जिन जनपदों में फिलहाल शरणार्थियों को चिन्हित किया गया है, उनमें आगरा, रायबरेली, सहारनपुर, गोरखपुर, अलीगढ़, रामपुर, मुजफ्फरनगर, हापुड़, मथुरा, कानपुर, प्रतापगढ़, वाराणसी, अमेठी, झांसी, बहराइच, लखीमपुर खीरी, लखनऊ, मेरठ और पीलीभीत आदि जनपद शामिल हैं। बताया जा रहा है कि सर्वेक्षण के दौरान पीलीभीत जनपद में सबसे अधिक शरणार्थी मिले हैं।
पीलीभीत के​ जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव की ओर से हाल ही में लगभग 37000 शरणार्थियों की सर्वे में पहचान करने की बात कही गई थी। शुरुआती जांच में धार्मिक उत्पीड़न को इनके अपना मुल्क छोड़कर भारत आने की अहम वजह माना गया। हालांकि सरकार के प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा के बयान के बाद पीलीभीत में शरणार्थियों की संख्या में जो फर्क आया है, उसके बारे में स्थानीय प्रशासन ने कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है, लेकिन अभी भी सबसे ज्यादा शरणार्थी पीलीभीत में ही हैं। वहीं अभी राज्य के कई जनपदों से शरणार्थियों की सूची आनी बाकी है। सभी जनपदों से सूची आने के बाद ही राज्य में निवास कर रहे कुल शरणार्थियों की संख्या सामने आ सकेगी।
वास्तविक प्रवासियों को नागरिकता के लिए हो रहा सर्वे
दरअसल सीएए बनने के बाद प्रदेश सरकार ने सभी जिलाधिकारियों को शरणार्थियों की सूची तैयार करने के लिए सर्वेक्षण कराने के निर्देश दिये थे। इसमें सभी जिला मजिस्ट्रेटों को पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के शरणार्थियों की पहचान करने के लिए कहा गया था। इसी क्रम में जिला प्रशासन की ओर से शरणार्थियों की सूची तैयार जा रही है। सीएए के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता दी जा सकेगी। इनमें हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी शामिल हैं। सूची बनाने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राज्य सरकार के हस्तक्षेप से यह सुनिश्चित किया जा सके कि वास्तविक प्रवासियों को देश की नागरिकता मिल सके।
शरणार्थियों की आपबीती को लेकर बुकलेट
इस बीच नागरिक अधिकार मंच की ओर से भी सीएए के बाद शरणार्थियों का ब्यौरा जुटाया गया है। इस बुकलेट में शरणार्थियों की जो जानकारी दी गई है, उसे ‘पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से उत्तर प्रदेश में शरणार्थियों की आपबीती’ (उनके उत्पीड़न की कहानी) नाम दिया गया है। इसमें विभिन्न जनपदों के हर शरणार्थी परिवार के साथ पड़ोसी मुल्कों में हुए अत्याचार और वहां उनके संघर्षमय जीवन का विवरण दर्ज किया गया है।
हर शरणार्थी की तस्वीर और भारत आने की तारीख का जिक्र
शरणार्थियों की उन परिस्थितियों का जिक्र किया गया है, जिसके कारण उन्हें अपना देश छोड़कर भारत आना पड़ा। खास बात है कि इसमें हर शरणार्थी की तस्वीर और वह किस देश से कब भारत आया, इस तिथि का भी जिक्र है। शरणार्थियों के हवाले से कहा गया है कि सीएए लागू होने के बाद अब उन्हें भारत की नागरिकता मिलने की उम्मीद जगी है और इसके लिए वह सरकार के बेहद आभारी हैं। बुकलेट में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सीएए को लेकर बयान भी दर्शाये गए हैं। वहीं इसमें सीएए का औचित्य और उसकी जानकारी भी दी गई है।
पार्टी नेता जनता के बीच कर रहे जनसम्पर्क
प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री एवं प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ सिंह के मुताबिक सीएए पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में सताए हुए अल्पसंख्यक लोगों को नागरिकता देने का कानून है। 31 दिसम्बर, 2014 या उससे पहले भारत आने वाले इन देशों के हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, ईसाई और पारसी धर्म के अल्पसंख्यकों को घुसपैठिया नहीं माना जाएगा। भाजपा नागरिकता संशोधन कानून पर जनता को जागरूक करने के लिए अभियान चला रही है। पार्टी नेता लगातार जनसम्पर्क कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री योगी ने भी सीएए पर जागरूकता की कमानी संभाल
वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सीएए को लेकर स्वयं प्रदेश और देश में जागरूकता अभियानों में सक्रिय हैं। 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन गोरखपुर में अपने कार्यक्रम के बाद वह बिहार के गया में लोगों को सीएए के प्रति जागरूक करेंगे। इसके बाद 18 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी, 19 जनवरी को गोरखपुर, 20 जनवरी को लखनऊ, 21 जनवरी को कानपुर, 22 जनवरी को मेरठ और 23 को आगरा में उनका कार्यक्रम है।

 


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