उत्तर प्रदेश को चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराने में अग्रणी प्रदेश सरकार
मेरठ, 18 जनवरी (हि.स.)। जनसंख्या की दृष्टि से देश के सबसे बड़े राज्य में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के प्रति कटिबद्ध है। अधिक जनसंख्या के कारण प्रदेश की जनता को उच्च गुणवत्ता की स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सेवायें देने के लिए प्रदेश सरकार ने कई मेडिकल काॅलेज खोले हैं।
प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा विगत वर्षों में चरणबद्ध तरीके से अनेक सुधार किये हैं। सरकार ने प्रदेश के चिकित्सा विश्वविद्यालयों, संस्थानोें व महाविद्यालयों को बेहतर एवं गुणवत्तापूर्ण बनाने का काम हुआ है। प्रदेश सरकार ने वर्ष 2017 से सरकारी क्षेत्र के पांच मेडिकल काॅलेजों को शुरू किया है। जबकि नौ मेडिकल काॅलेज का निर्माण चल रहा है। इनमें वर्ष 2021-22 से एमबीबीएस पाठ्यक्रम शुरू किया जाएगा।
इसके साथ ही 14 नए मेडिकल काॅलेजों की स्थापना की स्वीकृति प्रदान की गई है। प्रदेश सरकार ने केन्द्र सहायतित योजना के अन्तर्गत प्रथम चरण में पांच जिला चिकित्सालयों-अयोध्या, बहराइच, बस्ती, फिरोजाबाद एवं शाहजहांपुर को उच्चीकृत कर स्वशासी राज्य मेडिकल काॅलेज में परिवर्तित कर दिया है तथा शैक्षणिक सत्र 2019-20 में प्रत्येक काॅलेज में एमबीबीएस पाठ्यक्रम के अन्तर्गत 100 छात्रों (कुल 500) को प्रवेश दिया गया।
केन्द्र सहायतित योजना के अन्तर्गत द्वितीय चरण में आठ जिला चिकित्सालयों-एटा, हरदोई, प्रतापगढ़, फतेहपुर, सिद्धार्थनगर, देवरिया, गाजीपुर एवं मिर्जापुर को उच्चीकृत कर स्वशासी राज्य मेडिकल काॅलेज के रूप में परिवर्तित किया गया। प्रत्येक काॅलेज में 100 एमबीबीएस सीटों पर प्रवेश होंगे। ये सभी मेडिकल काॅलेज शैक्षणिक सत्र 2021-22 से क्रियाशील हो जाएंगे। राजकीय मेडिकल काॅलेज जौनपुर निर्माणाधीन है। इसमें 100 सीटों पर वर्ष 2021-22 में प्रवेश होंगे।
मेडिकल काॅलेज में बदलेंगे 14 जिलों जिला अस्पताल
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में तृतीय चरण में 14 जिला चिकित्सालयों व रेफरल अस्पतालों चन्दौली, सोनभद्र, सुल्तानपुर, गोण्डा, कानपुर देहात, कौशाम्बी, लखीमपुर खीरी, बुलन्दशहर, पीलीभीत, ललितपुर, औरैया, बिजनौर, कुशीनगर एवं अमेठी को उच्चीकृत कर मेडिकल काॅलेज के रूप में स्थापित करने का निर्णय लिया गया।
2017 में थे 15 जिलों में मेडिकल काॅलेज, आज 45 जिलों में
प्रदेश में वर्ष 2017 तक मात्र 15 जिलों में राजकीय मेडिकल काॅलेज या संस्थान संचालित थे। वर्तमान सरकार के अब तक 45 जिलों में मेडिकल काॅलेज या संस्थान संचालित हो रहे हैं। वर्तमान सरकार ने वर्ष 2017 से निजी क्षेत्र के अन्तर्गत चार नए मेडिकल काॅलेज की स्थापना की है। राजकीय मेडिकल काॅलेज बदायूं एवं राजकीय चिकित्सा आयुर्विज्ञान संस्थान ग्रेटर नोएडा में शैक्षणिक सत्र 2019-20 में एमबीबीएस पाठ्यक्रम के अन्तर्गत 100-100 छात्रों को प्रवेश दिया गया है। इस प्रकार शैक्षणिक सत्र 2019-20 में कुल 700 (500-200) एमबीबीएस सीटों की वृद्धि हुई है। यह वृद्धि पूरे भारत वर्ष में सर्वाधिक है। वर्ष 2017 से राजकीय मेडिकल काॅलेजों में 938 एमबीबीएस सीटों तथा 127 पीजी सीटों में वृद्धि हुई है। निजी क्षेत्र में 1550 यूजी सीट तथा पीजी एण्ड डिप्लोमा में 461 सीटों की वृद्धि हुई है।
अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विवि की स्थापना
प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा के पाठ्यक्रम एवं परीक्षाओं में एकरूपता लाने तथा केन्द्रीयकृत शैक्षणिक मार्गदर्शन एवं संचालित पाठ्यक्रमों को सम्बद्धता प्रदान करने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय की स्थापना का निर्णय लिया। इस सम्बंध में अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश अधिनियम 2018 दिनांक 22.12.2018 को अधिसूचित कर दिया गया है। इस विश्वविद्यालय से राजकीय क्षेत्र के 22 मेडिकल काॅलेज, निजी क्षेत्र के 18 मेडिकल काॅलेज, निजी क्षेत्र के 17 डेण्टल काॅलेज, राजकीय क्षेत्र के 12 नर्सिंग डिग्री कोर्सेज, निजी क्षेत्र के 198 नर्सिंग डिग्री काॅलेज तथा निजी क्षेत्र के 89 पैरा मेडिकल डिग्री कोर्सेज (कुल 356) को सम्बद्धता प्रदान की जायेगी।
रायबरेली व गोरखपुर एम्स में इलाज शुरू
प्रदेश में उत्कृष्ट चिकित्सा शिक्षा की दिशा में उत्तर प्रदेश राज्य में गोरखपुर और रायबरेली में दो अखिल भारतीय चिकित्सा संस्थान (एम्स) में आउटडोर सेवाएं शुरू हो गई है। साथ ही 100-100 सीटों पर एमबीबीएस की पढ़ाई भी शुरू हो गई।