लखनऊ, 29 जनवरी (हि.स.)। प्रदेश में गंगा किनारे बसे गांवों के कुल 51000 एकड़ भूमि में जीरो बजट खेती को प्रदेश सरकार बढ़ावा देगी। इसके अंतर्गत किसानों को रासायनिक खाद का प्रयोग न करने और वर्मी कंपोस्ट से खेती करने के लिए जागरूक किया जाएगा। इससे गंगा जल में भी बढ़ते प्रदूषण को कम किया जा सकेगा। इसके साथ ही मृदा व गंगा जल में जलीय जीवों के जीवन पर मंडरा रहे खतरों से भी निपटा जा सकेगा।
गंगा उत्तर प्रदेश के 26 जनपदों से होकर गुजरती है। इसमें कुल 1038 ग्राम गंगा नदी के किनारे बसे हैं। इसके अंतर्गत कुल 51000 एकड़ पर खेती होती है। सरकार ने योजना बनाई है कि इस सभी गांवों में 50-50 एकड़ कुल 1020 कलस्टर बनाए जाएंगे। इसके बाद कृषि योग्य भूमि पर बिना उर्वरक की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके अंतर्गत दलहन फसलों को उगाने के लिए भी प्रदेश सरकार बढ़ावा देगी। कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि इसका उद्देश्य रासायनिक उर्वरकों का उपयोग न्यून करना है, जिससे न सिर्फ खेती की लागत कम होगी बल्कि भूमि की उर्वरा शक्ति भी बढ़ेगी और उत्पादन गुणवत्तापूर्ण होने के साथ हमारा पर्यावरण संतुलित रहेगा।
उन्होंने एक श्लोक “त्यजन्ति पितरं पुत्रा: प्रियं पत्न्य: सुहृद्गण:। अन्ये च बान्धवा: सर्वे गंगा तान्न परित्यजेत॥” को पढ़ते हुए बताया कि पुत्र पिता को, पत्नी प्रियतम को, सम्बन्धी अपने सम्बन्धी को तथा अन्य सब भाई-बन्धु भी प्रिय को छोड़ देते हैं, किन्तु गंगाजी अपने जनों का परित्याग नहीं करती। इसका रक्षा करना हम सभी का कर्तव्य है। इस कारण प्रदेश सरकार हर व्यक्ति को जागरूक करने के लिए जुटी है। यह काम जन जानगरूकता से ही संभव है। उन्होंने कहा कि अग्नि का संसर्ग होने से रुई और सूखे तिनके क्षण भर में भस्म हो जाते हैं उसी प्रकार गंगाजी अपने जल का स्पर्श होने पर मनुष्यों के सारे पाप एक क्षण में दग्ध कर देती हैं।