उप्र पहला राज्य, जहां ‘गाय’ पालने पर मिल रहे हैं नौ सौ रुपये

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योगी सरकार छोटे बच्चों को गौशालाओं का करायेगी दर्शन



लखनऊ, 17 मार्च (हि.स.)। भारतीय संस्कृति में गंगा, गीता और गाय का स्थान सर्वोपरि है। जहां जीवनदायनी गंगा पतितपावनी है, वहीं गीता को जितनी बार पढ़ा जाए हर बार उसमें कुछ न कुछ नया मिलता है, जीवन की सारी समस्याओं का समाधान गीता में है। रही बात गाय की तो अनादिकाल से वह पूज्यनीय है। यही वजह है कि उसे माता का दर्जा प्राप्त है।
यूपी में ‘गौ’ जहां माता की रुप में पूजी जा रही है, वहीं अब किसानों की आर्थिक हालात को ठीक करने में भी मददगार साबित हो रही है। योगी सरकार की ओर से 04 गाय रखने वाले किसानों व गोपालकों प्रतिदिन 30 रुपये प्रति ‘गाय’ अर्थात 09 सौ रुपये प्रतिमाह का भुगतान किया जा रहा है। योगी सरकार अब तक 50 हजार गायों को किसानों तक पहुंचा चुकी है। इतना ही नहीं योगी सरकार पिछले तीन वर्षो में गौ सरंक्षण व संवर्धन के लिए 30 करोड़ रुपये का अनुदान भी दे चुकी है।
स्वामी जितेन्द्रनन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि दुर्भाग्य है कि जिस देश में गौ को पूज्य और गौरक्षा को धर्म माना गया है, उसी में अब उसका अपेक्षित सम्मान नहीं है। किसी समय में देशी गाय आम आदमी से लेकर राजा-महाराजाओं तक के लिए संपन्नता का प्रतीक मानी जाती थी। आज भी देशी गाय की खूबियां पहले जैसी ही हैं पर उनकी वह कद्र नहीं है। उन्होंने गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर तथा प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस पहल की सराहना की और कहा कि गौपालक को प्रतिमाह नौ सौ रुपये मिलना स्वागत योग्य कदम है। उन्होंने कहा कि सीएम योगी यूपी की सत्ता में आते ही गौ तस्करी व बूचड़खाने को तत्काल प्रभाव से बंद करा दिये थे। यह सरकार लगातार देशी गोवंश के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।
ब्रह्मचारी वागीश शास्त्री ने कहा कि मुख्यमंत्री बनते ही योगी आदित्यनाथ ने अवैध बूचड़खानों पर प्रतिबंध लगाकर गाय की गर्दन को कसाई की छूरी से बचा लिया। कहा कि आजाद भारत में यह पहली बार हुआ है कि कोई सरकार बेजुबानों की जुबान बनी है।
गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष प्रो. श्याम नंदन ने ‘हिन्दुस्थान समाचार’ को बताया कि विगत तीन वर्षों में प्रदेश के सभी 18 मण्डलों में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों को मिलाकर 4 हजार 900 से अधिक गोआश्रय स्थलों में गोवंश संरक्षित किए गए हैं। बताया कि योगी सरकार अब छोटे बच्चों को भी गौशालाओं का दर्शन करायेगी। देशी नस्लों के सुधार पर काम चल रहा है। देशी गाय के लिए देशी साड़ की भी जरूरत है। उस दिशा में सरकार काम कर रही है। आने वाले समय में ‘गौ’ पूजन के साथ-साथ आर्थिक आधार भी बनेगी। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री सहभागिता योजनान्तर्गत 49 हजार से अधिक गोवंश को इच्छुक पशुपालकों की सुपुर्दगी में दिया गया है जिनकी देखभाल के लिए सरकार प्रतिमाह 900 रुपये दे रही है। यह सरकार गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने की ओर आगे बढ़ रही है। आज गौ-मूत्र व गोबर से कई प्रकार के प्रोडक्ट बनाये जा रहे हैं। योगी सरकार प्रतिमाह की राशि को बढ़ाने पर भी विचार कर रही है।
गौरतलब है कि गोवंश संरक्षण को लेकर योगी के गंभीरता की एक बानगी जुलाई 2019 में देखने को मिली, जब उन्होंने यूपी के सभी डीएम के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की। इस दौरान योगी गौशलाओं में हो रही गायों की मौतों को लेकर काफी सख्त रुख अपनाया। उन्होंने अयोध्या व मिर्जापुर के डीएम को नोटिस जारी करते हुए, इन दोनों जिलों के आठ अधिकारियों को निलंबित कर दिया। इसके अलावा उन्होंने प्रयागराज व मिर्जापुर के कमिश्नर से गोवंश की मौतों के कारणों की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई के भी निर्देश दिए।
वाराणसी धर्म संघ शिक्षा मंडल के सचिव जगजीतन महाराज ने बताया कि गाय का जिक्र चारों वेदों में 1331 बार आया है। अथर्व वेद में गाय की महिमा का वर्णन करते हुए लिखा गया है कि ‘वशां देवा उपजीवंति वशां मनुष्या उप। वशेदं सर्वं भवतु यावतु सूर्यो विपश्यति॥’ अर्थात देवता और मानव गो पदार्थों पर जीतें हैं। जब तक सूर्य चमकेगा, विश्व में गायें रहेंगी। सारा ब्रह्मांड गाय के संबल पर निर्भर हैं। यह सिर्फ मान्यता नहीं विज्ञान ने देशी प्रजाति की गायों के संबंध में इसे साबित भी किया है। लोगों को सिर्फ धर्म या आस्था के नाते नहीं देशी गाय की खूबियों के नाते भी इनका संरक्षण करना होगा।
गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष प्रो. श्याम नंदन ने कहा कि गोवंश संरक्षण एवं संवर्धन और गौशालाओं को आत्म निर्भर बनाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार अपनी तरफ से तमाम प्रयास कर रही है, लेकिन यह जिम्मेदारी सिर्फ सरकार की ही नहीं, बल्कि समाज की भी है। सरकार की तरफ से किए जा रहे सारे प्रयास तब तक सफल नहीं होंगे, जब तक इसमें जनभागीदारी नहीं होगी।

 


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