उत्तर प्रदेश में कृषि योग्य बनाया जा रहा है बंजर भूमि को

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मेरठ, 14 फरवरी (हि.स.)। उत्तर प्रदेश में बंजर भूमि को कृषि योग्य बनाने का अभियान चल रहा है। यह सब प्रदेश सरकार द्वारा प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना-वाटरशेड विकास घटक के जरिए किया जा रहा है।
प्रदेश काफी भूमि ऊसर, बन्जर, ऊँची-नीची, सूखा प्रभावित परती, अनुपजाऊ ऊबड खाबड आदि पड़ी है। ऐसी जमीनों को सही ढंग से उपचारित कर कृषि योग्य बनाने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना-वाटरशेड विकास घटक (आईडब्ल्यूएमपी) का संचालन समान मार्गदर्शी सिद्धांत के आधार पर हो रहा है।
प्रदेश के गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, सम्भल एवं शामली को छोड़कर 71 जनपदों में योजना संचालित हो रही है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य वर्षा सिंचिंत क्षेत्रों में वर्षा जल संचयन, प्राकृतिक संसाधनों के समुचित प्रबन्धन तथा उसका दीर्घ कालिक उपयोग  करना है।
डीएम और ग्राम प्रधान की अध्यक्षता में बनी समिति
 
इसके अतिरिक्त कार्यक्रम के अन्तर्गत अस्थामूलक कार्यकलाप, क्षमता निर्माण, आजीविका संवर्धन, उत्पादन प्रणाली एवं सूक्ष्म उद्यम विकास आदि कार्य सम्पादित किया जाता है। कार्यक्रम के सुगम संचालन हेतु जनपद स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में वाटरशेड सेल कम डाटा सेन्टर (डब्ल्यूसीडीसी) तथा ग्राम पंचायत स्तर पर ग्राम प्रधान की अध्यक्षता में जल संग्रहण समितियों (डब्ल्यूसी) का गठन किया गया है।
जल संरक्षित करने की हो रही व्यवस्था
 
कार्यक्रम में विविध प्रकार के जल संग्रहण संरचनाओं का निर्माण कराते हुये वर्षा जल संरक्षित कर सूखे की स्थिति को कम करके वर्षा आधारित क्षेत्रों में दलहनी, तिलहनी फसलों के उत्पादन में वृद्धि कराना है। इसमें कृषि के साथ-साथ पशुपालन, मत्स्यपालन आदि कार्यों को भी शामिल किया गया है। इसके अतिरिक्त उत्पादित कृषि खाद्यान्नों का मूल्य संवद्र्वन एवं प्रसंस्करण सम्बन्धी कार्यकलापों में वृद्वि की गई है।
7.31 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को किया गया है उपचारित
 
परियोजना क्षेत्र के निर्धन, साधनहीन तथा सम्पत्तिहीन ग्रामीण परिवारों को उनके स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से आजीविका विकास कार्यक्रमों को भी लागू करते हुए रोजगार से लगाया गया है। प्रदेश में ईपीए के अन्तर्गत 16051 कार्य, क्षमता निर्माण के अन्तर्गत 572176 लाभार्थियों के कौशल विकास, जल संग्रहण विकास के अन्तर्गत 7.31 लाख हेक्टेयर क्षेत्र उपचारित कर 21219 जल संचय संरचनाओं का निर्माण या जीर्णोद्वार करते हुये 53978 हेक्टेयर क्षेत्रफल में अतिरिक्त सिंचन क्षमता विकसित की गई है।
32.69 करोड़ सीडमनी कराया गया है उपलब्ध
 
आजीविका संवर्धन के अन्तर्गत 13433 समूहों को 32.69 करोड़ सीडमनी उपलब्ध कराया गया। साथ ही उत्पादन प्रणाली एवं लघु उद्यम विकास के अन्तर्गत 16827 हितग्राहियों के कल्याण पर अब तक 933.29 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं।आगामी वित्तीय वर्ष 2021-22 से नई गाइडलाइन के अनुसार कार्य कराया जाएगा। राज्य स्तरीय नोडल एजेन्सी (एसएलएनए) द्वारा प्रदेश के 31 जनपदों के वर्षा आधारित क्षेत्रों, अतिदोहित, सूखा ग्रस्त क्षेत्रों से 4.50 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में जल संग्रहण की 85 परियोजनाओं को संचालित करने की प्राथमिक परियोजना प्रतिवेदन (पीपीआर) तैयार कराई जा रही है।

 


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