लखनऊ, 13 अक्टूबर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश की 11 विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव में सूबे की सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पूरी ताकत झोंक दी है। मोदी लहर के बावजूद भाजपा जिन दो सीटों (रामपुर और जलालपुर) पर 2017 में जीत नहीं दर्ज कर पायी थी, पार्टी उन्हें भी इस उपचुनाव में कब्जाने की फिराक में है। उपचुनाव वाली 11 सीटों में से रामपुर और जलालपुर को छोड़कर आठ पर भाजपा और प्रतापगढ़ की सीट पर उसके सहयोगी अपना दल (एस) का 2017 के चुनाव में कब्जा था। रामपुर और जलालपुर की सीटें क्रमशः सपा और बसपा के खाते में थीं।
भाजपा 10 सीटों पर उपचुनाव में लड़ रही है और पार्टी ने प्रतापगढ़ सीट सहयोगी दल को दिया है। उपचुनाव के लिए सभी दल प्रचार अभियान में जुटे हुए हैं, लेकिन उनमें भाजपा सबसे आगे चल रही है। सत्तारुढ़ दल इस बार रामपुर और जलालपुर पर भी कब्जा जमाने की रणनीति पर काम कर रही है। दरअसल, रामपुर वरिष्ठ सपा नेता मो. आजम खान का गढ़ माना जाता है। वर्ष 1989 से केवल एक बार छोड़कर आजम खान लगातार यहां से विधानसभा का चुनाव जीतते रहे हैं। भाजपा यहां से कभी भी अपना उम्मीदवार नहीं जिता सकी। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद भाजपा उम्मीदवार को यहां मात्र 26 प्रतिशत मत मिले और करीब 48 फीसदी वोट पाकर आजम ने अपनी सीट बरकरार रखी थी। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में आजम यहीं से सांसद बन गये। इसलिए यहां उपचुनाव हो रहा है और सपा ने उनकी पत्नी डॉ. तजीन फातिमा को पार्टी उम्मीदवार बनाया है। भाजपा से यहां भारत भूषण गुप्ता चुनावी मैदान में हैं।
रामपुर सीट को फतह करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अलावा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और महामंत्री संगठन सुनील बंसल वहां अलग-अलग दौरा कर किले बंदी कर चुके हैं। मुख्यमंत्री योगी 18 अक्टूबर को फिर रामपुर जाएंगे और एक चुनावी जनसभा के जरिए पार्टी उम्मीदवार के पक्ष में हवा बनाएंगे। भाजपा रामपुर में आजम खान के खिलाफ जमीनों पर कब्जे के मामले में दर्ज मुकदमों को भी अपनी जीत का हथियार बनाना चाहती है। इसके लिए मुस्लिम समाज को भी भाजपा के पक्ष में जोड़ा जा रहा है क्योंकि आजम के खिलाफ मुकदमा लिखाने वालों में अधिकतर मुस्लिम समाज के ही लोग हैं। हालांकि सपा भी इस मामले को सहानभूति में बदलने की फिराक में है।
रामपुर के अलावा भाजपा की नजर अंबेडकरनगर की जलालपुर सीट पर भी है, जहां वह केवल एक बार 1996 में कमल खिला सकी है। उस समय के विधायक शेरबहादुर सिंह के पुत्र डॉ. राजेश सिंह को भाजपा ने इस उपचुनाव में उम्मीदवार बनाया है। वर्ष 2017 के चुनाव में भी राजेश ही भाजपा उम्मीदवार थे, लेकिन बाजी बसपा के रितेश पांडेय के हाथ लगी थी। रितेश के सांसद चुने जाने के कारण ही इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है। बसपा ने यहां से पहले रितेश के पिता राकेश पांडेय को टिकट दिया था लेकिन जब वह चुनाव लड़ने को तैयार नहीं हुए तो पार्टी ने विधानसभा में दल के नेता लालजी वर्मा की पुत्री छाया वर्मा को उम्मीदवार बनाया।
बसपा जलालपुर सीट को बरकरार रखने के लिए पुरजोर कोशिश कर रही है लेकिन भाजपा यहां अपना कब्जा जमाने की रणनीति पर काम कर रही है। इसके लिए पार्टी सामाजिक समीकरण भी साध रही है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और सरकार के मंत्री क्षेत्र में लगातार डटे हुए हैं। प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी इस क्षेत्र में कई चुनावी सभाएं कर चुके हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी 16 अक्टूबर को इस क्षेत्र का कार्यक्रम रखा है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री योगी इस समय भाजपा के स्टार प्रचारक के रुप में महाराष्ट और हरियाणा के चुनाव प्रचार पर हैं। वह 15, 16 और 18 अक्टूबर को उप्र के 11 उपचुनाव वाले क्षेत्रों में पार्टी उम्मीदवारों के पक्ष में वोट मांगेंगे। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता मनीष शुक्ला के अनुसार मुख्यमंत्री योगी तीन दिन में 11 चुनावी जनसभा संबोधित करेंगे। वह 15 अक्टूबर को कानपुर के गोविंदनगर, चित्रकूट के मानिकपुर, लखनऊ कैंट और प्रतापगढ़ में रहेंगे जबकि 16 अक्टूबर को बाराबंकी की जैदपुर, आंबेडकरनगर के जलालपुर, बहराइच की बलहा और मऊ के घोसी और 18 अक्टूबर को सहारनपुर के गंगोह, रामपुर और अलीगढ़ के इगलास में चुनावी सभा करेंगे।
उत्तर प्रदेश की 11 विधानसभा सीटों के लिए हो रहे उपचुनाव में 21 अक्टूबर को मतदान होगा। मतगणना 24 अक्टूबर को होगी। इस चुनाव में सभी सीटों पर कुल 110 उम्मीदवार भाग्य आजमा रहे हैं। इनमें रामपुर से सात और जलालपुर से 13 उम्मीदवार मैदान में हैं।