नई दिल्ली, 16 जुलाई (हि.स.) । उत्तर प्रदेश के करीब एक लाख सहायक शिक्षकों की नौकरी बच गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का वो फैसला निरस्त कर दिया है, जिसमें टीईटी रिजल्ट के बाद बीएड या बीटीसी की डिग्री पाने वालों को नौकरी के अयोग्य करार दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला 2011 के बाद से उप्र में हुई सभी टीईटी परीक्षाओं के नतीजों पर लागू होगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि जिन लोगों का टीईटी रिजल्ट पहले आया और बीएड या बीटीसी का रिजल्ट बाद में आया उनका टीईटी प्रमाण पत्र वैध नहीं माना जाएगा। हाईकोर्ट के इसी फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से शासकीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में कार्यरत और 2012 से 2018 के बीच नियुक्त एक लाख से अधिक उन शिक्षकों को राहत मिली है, जो हाईकोर्ट के आदेश से प्रभावित हो रहे थे। इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
चयनित शिक्षकों का कहना था कि यूपीटीईटी के लिए 4 अक्टूबर, 2011 और 15 मई 2013 को जारी शासनादेश में इस बात का जिक्र नहीं था कि जिनके ट्रेनिंग का रिजल्ट टीईटी के बाद आएगा, उन्हें टीईटी का प्रमाणपत्र नहीं मिलेगा।