उन्नाव रेप केस : सीबीआई की चार्जशीट में कुलदीप सेंगर हत्या का आरोपित नहीं

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एक्सीडेंट मामले में जांच एजेंसी ने सेंगर का नाम हटाया



नई दिल्ली, 12 अक्टूबर (हि.स.)। उन्नाव रेप केस में पीड़ित के साथ हुए एक्सीडेंट के मामले में सीबीआई ने अपनी दायर चार्जशीट में कहा है कि एक्सीडेंट लापरवाही से वाहन चलाने की वजह से हुई। तीस हजारी कोर्ट में दाखिल चार्जशीट में सीबीआई ने आरोपित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ हत्या की धाराओं को हटा दिया है।

चार्जशीट में कुलदीप सिंह सेंगर और उसके भाई समेत मनोज के खिलाफ पीड़ित के परिवार को केस वापस लेने के लिए धमकाने का आरोप लगाया गया है। चार्जशीट में कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ एक्सीडेंट का साजिश रचने का आरोपित नहीं बनाया गया है।

पीड़ित के चाचा ने इस एक्सीडेंट के लिए कुलदीप सिंह सेंगर को साजिश रचने का आरोपित माना है। एक्सीडेंट में घायल पीड़ित के वकील का अब भी एम्स में इलाज चल रहा है। पीड़ित एम्स से डिस्चार्ज हो चुकी है। सीबीआई ने सेंगर को 2017 में पीड़ित के साथ हुए गैंगरेप के मामले में आरोपित बनाया है।

पिछले 10 अक्टूबर को कोर्ट ने पीड़ित के पिता की हिरासत में मौत के मामले में पीड़ित की बहन का क्रॉस-एग्जामिनेशन किया था। इस मामले में कोर्ट ने पीड़ित की मां का क्रास-एग्जामिनेशन खत्म किया। इस मामले में आईफोन निर्माता कंपनी एप्पल ने कोर्ट को बताया था कि घटना के दिन आरोपित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के लोकेशन का कोई डाटा उपलब्ध नहीं है। एप्पल के वकील ने डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज धर्मेश शर्मा की कोर्ट को ये जानकारी दी थी।

पिछले 29 सितम्बर को कोर्ट ने एप्पल कंपनी से घटना वाले दिन कुलदीप सिंह सेंगर के लोकेशन की जानकारी मांगी थी। दरअसल कुलदीप सिंह सेंगर ने कोर्ट को बताया था कि वो घटना वाले दिन घटनास्थल पर मौजूद नहीं था। उसके बाद कोर्ट ने एपल कंपनी से कुलदीप सिंह सेंगर की लोकेशन मांगी थी।

पिछले एक अक्टूबर को कोर्ट ने उन्नाव के ज्युडिशियल मजिस्ट्रेट का बयान दर्ज किया था। उन्नाव के ज्युडिशियल मजिस्ट्रेट ने रेप पीड़ित की चाची का बयान दर्ज किया था। इस मामले में डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज धर्मेश शर्मा की कोर्ट ने पीड़ित की मां का भी बयान दर्ज किया।

उससे पहले 25 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव रेप पीड़ित के साथ हुए एक्सीडेंट मामले की जांच के लिए सीबीआई को 15 दिनों का और वक्त दे दिया था। पिछले 24 अक्टूबर को कोर्ट ने पीड़ित और उसके परिवार के सदस्यों को दिल्ली में रहने की व्यवस्था करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने दिल्ली महिला आयोग को इसके इंतजाम करने का निर्देश दिया था।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पीड़ित को पिछले 28 जुलाई को लखनऊ से दिल्ली एम्स में इलाज के लिए शिफ्ट किया गया था। पिछले 11 और 12 सितंबर को जज धर्मेश शर्मा ने एम्स के ट्रॉमा सेंटर जाकर बने अस्थायी कोर्ट में पीड़ित का बयान दर्ज किया था। पीड़ित का बयान इन-कैमरा दर्ज किया गया । बयान दर्ज करने के दौरान आरोपित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को भी ट्रामा सेंटर में बनाए गए अस्थायी कोर्ट में पेश किया गया था।

पिछले छह सितम्बर को जज धर्मेश शर्मा ने ट्रायल पूरा करने के लिए 45 दिन की समयसीमा को बढ़ाये जाने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इसकी इजाजत देते हुए कहा था कि आगे भी समयसीमा बढ़ाये जाने की ज़रूरत महसूस होने पर वो सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकते हैं।

 


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