उन्नाव रेप कांड : पहले पीड़ित परिवार और आरोपित विधायक के परिवार में थी दोस्ती, आज दुश्मनी के लायक भी नहीं

0

एक कहावत है कि दूर की दुश्मनी ठीक लेकिन घर की दुश्मनी जान की आफत बन जाती है। यही स्थिति है आज पीड़ित के परिवार और आरोपित विधायक कुलदीप सेंगर की।



लखनऊ, 03 अगस्त (हि.स.)। 18 साल पहले ऐसा भी दिन था जब उन्नाव की रेप पीड़ित का परिवार और आरोपित विधायक कुलदीप सेंगर के बीच गहरी दोस्ती थी लेकिन अब ऐसे हालात हैं कि पीड़ित के परिवार के कई लोगों को जान गंवानी पड़ गई। जब पहली बार कुलदीप सेंगर ने 2002 में विधानसभा का चुनाव लड़ा था, तब पीड़ित के पूरे परिवार उनके चुनाव में भरपूर मदद की थी। चुनाव जीतने के बाद ही कुलदीप सेंगर पीड़ित के परिवार से दूरियां बढ़ाने लगें। इसके बाद अनबन की शुरुआत हुई, जो इस सीमा तक पहुंच गई कि पीड़ित का पूरा परिवार बर्बाद हो गया।

एक कहावत है कि दूर की दुश्मनी ठीक लेकिन घर की दुश्मनी जान की आफत बन जाती है। यही स्थिति है आज पीड़ित के परिवार और आरोपित विधायक कुलदीप सेंगर की। उन्नाव जिले के एक ही गांव के रहने वाले पीड़ित के परिवार और दुराचार के आरोपित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के घर की दूरी का फासला भी चंद कदम का है।

15 साल पहले पीड़ित के एक ताउ की गांव में ही हुई थी हत्या

पीड़ित के पिता तीन भाई थे। इन भाइयों की पूरे इलाके में एक दबंग की छवि थी। इन पर कई अलग-अलग मुकदमे भी दर्ज थे। पीड़ित के एक ताउ की हत्या भी करीब 15 साल पहले एक विवाद में गांव में ही पीट-पीटकर कर दी गयी थी। पीड़ित का चाचा इस वक्त रायबरेली जेल में बंद है। उसी से मिलने के लिए रविवार को पीड़ित जेल जा रही थी। जबकि पप्पू सिंह पीड़ित के पिता थे, जिनकी आरोपित विधायक के भाई और उसके गुर्गों के हाथों पिटाई के बाद 2017 में मौत हो गई थी।

प्रधानी के चुनाव में दोनों परिवार आया था आमने-सामने

पहली बार विधायक बनने के बाद कुलदीप सिंह सेंगर जब तीनों भाइयों से किनारा करना शुरू किया। इसके बाद दोनों परिवारों के बीच दरार पड़ गई। धीरे-धीरे यह आपसी रंजिश में बदल गई। इसी बीच ग्राम प्रधान का चुनाव आ गया। उस चुनाव में विधायक सेंगर की मां चुन्नी देवी प्रधानी का चुनाव लड़ रही थीं। तब सेंगर को सबक सिखाने के लिए पीड़ित लड़की के ताऊ ने खुद प्रधानी का चुनाव लड़ने का फैसला किया। उसी समय पहली बार दोनों परिवार खुलकर दुश्मनी के मुड में आ गए। हालांकि चुनाव से पहले कुलदीप सिंह सेंगर ने पीड़ित के ताऊ के मुकदमों को हथियार बनाकर उसकी उम्मीदवारी खारिज करा दी थी। उसके बाद पीड़ित के परिवार ने अपने नजदीकी देवेंद्र सिंह की मां को चुनाव में उतार दिया। इस दौरान पीड़ित के परिवार और सेंगर परिवार के बीच झड़प भी हुई थी। बाद में विधायक सेंगर की तरफ से पुलिस ने महेश सिंह के खिलाफ हत्या की कोशिश का मामला दर्ज किया था।

आपसी दुश्मनी में पहला कत्ल पीड़ित के ताऊ का हुआ था। गांव में ही कुछ लोगों ने ईंट-पत्थरों से हमला कर उनकी हत्या कर दी थी। साजिशकर्ता के रूप में विधायक कुलदीप सेंगर पर ही आरोप लगा था। भाई की मौत के फौरन बाद पीड़ित लड़की का चाचा उन्नाव छोड़ कर गायब हो गया। उन्हें 2018 में दिल्ली में पकड़ा गया और अब उसी मामले में वे रायबरेली जेल में दस साल की सजा काट रहा है।

पीड़ित के पिता की भी हो चुकी है मौत

चार जून 2017 को पीड़ित ने आरोप लगाया कि विधायक सेंगर ने उसके साथ अपने घर में दुष्कर्म किया। इसके बाद विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के भाई अतुल सिंह और उसके साथियों ने पीड़ित लड़की के पिता को बुरी तरह पीटने के बाद पुलिस को सौंप दिया था। पुलिस ने आर्म्स एक्ट का मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया था, जहां दो दिन बाद ही उनकी मौत हो गई। ये दोनों परिवारों के बीच रंजिश में हुई दूसरी मौत थी।

कई अदावत है आरोपित विधायक के साथ

पीड़ित के पिता और ताउ दोनों मारे जा चुके हैं। पीड़ित का चाचा हत्या की कोशिश के एक मामले में रायबरेली की जेल में दस साल की सजा काट रहा है और इसी चाचा की पत्नी और साली की भी अब उसी सड़क हादसे में मौत हो चुकी है। एक ताऊ की मौत के अलावा हर मौत और चाचा के जेल जाने को लेकर सीधे विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर आरोप लग रहे हैं। दुष्कर्म का आरोप भी विधायक पर ही है।

मामला परिवार उजड़ने और उजाड़ने तक का है

पीड़ित चाची भी इस मामले में विधायक सेंगर के खिलाफ अहम गवाह थीं, जबकि खुद पीड़ित लड़की की हालत नाजुक बनी हुई है।यह मामला सिर्फ दुष्कर्म तक सीमित नहीं है, बल्कि एक परिवार के उजड़ने और उजाड़ने तक पहुंच चुका है। कुलदीप सिंह सेंगर पहले तो धन और बल दोनों में गांव में पीड़ित परिवार के समकक्ष ही थे लेकिन अब काफी आगे निकल चुके हैं। इस कारण पीड़ित परिवार को तमाम मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है।

 


प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *