ऊना (हिमाचल प्रदेश), 13 अक्तूबर (हि.स.)। तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने रविवार को कहा है कि भारत और चीन के बीच अच्छे संबंध होना बहुत जरूरी है। चंडीगढ़ जाते हुए कुछ देर के लिए ऊना सर्किट हाउस में रुके दलाई लामा ने यह टिप्पणी पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में की।
उन्होंने कहा कि दोनों देशों की सभ्यता बहुत पुरानी है। दोनों देश आर्थिक तौर पर भी बड़ी शक्तियां हैं। ऐसे में दोनों देशों के बीच अच्छे रिश्ते बेहद आवश्यक हैं। तिब्बत की आजादी पर पूछे गए सवाल पर दलाई लामा ने कहा, वर्ष 1974 में हमने तय किया कि चीन से आजादी की मांग नहीं की जाएगी।चीन में रहने वाले तिब्बती सिर्फ अपनी संस्कृति के संरक्षण के लिए कुछ अधिकारों की मांग कर रहे हैं।
दलाई लामा ने कहा, वह तिब्बती नालंदा दर्शन का अनुसरण कर रहे हैं और नालंदा दर्शन तर्क पर आधारित है। अब चीन के कुछ बुद्धिजीवी भी मानते हैं कि तिब्बती बौद्ध धर्म पौराणिक नालंदा परंपरा का वाहक और विज्ञान पर आधारित है। इन बौद्ध शिक्षाओं को आधुनिक शिक्षा के साथ पढ़ाया जा सकता है।
दलाई लामा ने कहा कि तिब्बती भारत में शरणार्थी के रूप में जरूर रह रहे हैं पर उन्होंने पिछले 60 वर्षों में भारत की आजादी का आनंद लिया है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2001 में उन्होंने राजनीतिक फैसलों से खुद को अलग कर लिया था। भारत में रह रहे तिब्बती शरणार्थी लोकतांत्रिक व्यवस्था पर भरोसा करते हैं। तिब्बतियों की चुनी हुई सरकार सभी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रही हैं।