संयुक्त राष्ट्र, 09 अक्टूबर (हि.स.)। विश्व की सर्बोच्च संस्था संस्था इन गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रही है और स्थिति यह है कि वह अपने कर्मचारियों को इस महीने का वेतन देन की भी हालत में नहीं है।
हालांकि यह चौंकाने वाली बात है कि 14.25 अरब रुपये से अधिक का कोष रखने वाले संयुक्त राष्ट्र की यह हालत कैसे हुई है। दरअसल, अमेरिका समेत कई देशों ने अपने योगदान का भुगतान नहीं किया है।
समाचार एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने मंगलवार को आगाह किया था कि यह वैश्विक संस्था दशक के सबसे गंभीर घाटे के दौर से गुजर रहा है और अगले महीने की तनख्वाह देने के लिए भी उसके पास पर्याप्त धन नहीं होंगे।
संयुक्त राष्ट्र की वित्तीय स्थिति के बारे में चेतावनी देते हुए गुतारेस ने सभी 193 सदस्य देशों से अपनी वित्तीय देनदारियों का समय पर भुगतान करने की अपील भी की।
गुतारेस ने संयुक्त राष्ट्र की पांचवी समिति के समक्ष टिप्पणी की, ‘‘ संगठन गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। और स्पष्ट करूं तो वह नकदी संकट से गुजर रहा है। स्पष्ट है कि बिना नकद राशि के बजट का सही ढंग से क्रियान्वयन नहीं हो सकता है।’’
विदित हो कि यह समिति संयुक्त राष्ट्र के प्रशासनिक और वर्ष 2020 के प्रस्तावित बजट से जुड़े मामलों को देखती है।
गुतारेस ने कहा, ‘‘…नवंबर महीने में इतनी राशि भी नहीं होगी कि वेतन का भुगतान किया जा सके।’’
उल्लेखनीय है कि भारत उन गिने चुने देशों में शामिल है जिसने समय पर अपना पूरा अंशदान संयुक्त राष्ट्र में जमा किया है। इसके उलट भारत का 3.8 करोड़ डॉलर संयुक्त राष्ट्र पर बकाया है। यह संयुक्त राष्ट्र की किसी देश के लिये सबसे अधिक देनदारी है जो मार्च 2019 के शांति अभियानों के लिए दी जानी है।
संयुक्त राष्ट्र में 1.3 अरब अमेरिकी डालर के बकाये भुगतान पर भारत ने गहरी चिंता व्यक्त की है। यह तब है जब नियमित बजट वित्त वर्ष तीन महीने में खत्म हो रहा है।