संयुक्त राष्ट्र, 09 अगस्त (हि.स.)। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुतारेस ने कश्मीर के ताजा घटनाक्रमों के आलोक में भारत और पाकिस्तान के बीच साल 1972 में हुए शिमला समझौते की याद दिलाई, जिसमें कश्मीर में तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से इनकार किया गया है। यह जानकारी शुक्रवार को मीडिया रिपोर्ट से मिली। विदित हो कि जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा हटाने के भारत के फैसले के बाद पाकिस्तान ने गुतारेस से उचित भूमिका निभाने के लिए कहा जिसके बाद उनका यह बयान आया है।
गुतारेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने एक नियमित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि महासचिव जम्मू-कश्मीर में स्थिति पर गंभीरता से नजर बनाए हैं और उन्होंने इस पर संयम बरतने की अपील की है। महासचिव ने भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय संबंधों पर 1972 में हुए उस समझौते को भी याद किया जिसे शिमला समझौते के नाम से जाना जाता है। इस समझौते में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर की अंतिम स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुसार शांतिपूर्ण तरीकों से निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने शिमला समझौते को याद किया जिसके मुताबिक कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच एक द्विपक्षीय मुद्दा है और इसमें तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की जरूरत नहीं है।
इससे एक दिन पहले संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की दूत मलीहा लोधी ने अनुच्छेद 370 हटाने के भारत के फैसले के बाद महासचिव से अपनी उचित भूमिका निभाने के लिए कहा था। महासचिव ने कश्मीर पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की कोई पेशकश नहीं की। इसके बजाय उन्होंने शिमला समझौते का हवाला दिया।
गुतारेस ने सभी पक्षों से ऐेसे कदमों को उठाने से बचने का भी आह्वान किया है जिससे जम्मू-कश्मीर की स्थिति प्रभावित हो सकती है। उनकी यह टिप्पणी पाकिस्तान के उस फैसले के बाद आई है जिसमें उसने भारत के साथ राजनयिक संबंधों को कमतर कर दिया और द्विपक्षीय व्यापार भी निलंबित कर दिया।
यह पूछे जाने पर कि क्या महासचिव की योजना कश्मीर मुद्दे को सुरक्षा परिषद में उठाने की है। इस पर दुजारिक ने जवाब दिया, ‘‘मुझे ऐसी किसी योजना की जानकारी नहीं है।’’ साथ ही उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री से मिले पत्र को उनके अनुरोध पर सुरक्षा परिषद के पास भेज दिया गया है।‘’
जब यह पूछा गया कि क्या महासचिव को लगता है कि कश्मीर में स्थिति पर किसी विशेष दूत के जरिए करीब से नजर रखने की जरूरत है, तो दुजारिक ने कहा, ‘‘महासचिव स्थिति पर पैनी नजर रख हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र सचिवालय निकटता से स्थिति पर नजर रख रहा है, लेकिन मेरे पास विशेष दूत के बारे में बताने के लिए कुछ भी नहीं है।’’