नई दिल्ली, 17 फरवरी (हि.स.)। एलसीए तेजस और अर्जुन टैंक के बाद अब डीआरडीओ ने यूएवी मिशन रुस्तम-2 पर अपना ध्यान केंद्रित कर दिया है। पिछले साल अक्टूबर में सफल परीक्षण के बाद अब ट्रायल के दूसरे चरण में रुस्तम-2 अप्रैल में 27 हजार फीट की ऊंचाई पर 18 घंटे तक उड़ान भरेगा। इसके बाद अगले चरण में 30 हजार फीट पर 24 घंटे तक उड़ान भरकर परीक्षण किया जायेगा। स्वदेशी रूप से विकसित इस मानवरहित हवाई वाहन (यूएवी) को रणनीतिक टोही और निगरानी कार्यों के लिए डिज़ाइन किया गया है।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित किए जा रहे रुस्तम-2 को अप्रैल में मील का पत्थर हासिल करने का लक्ष्य दिया गया है। ट्रायल के दूसरे चरण में यह कर्नाटक के चित्रदुर्ग में 27 हजार फीट की ऊंचाई पर 18 घंटे तक उड़ान भरेगा। इसके अगले चरण में 30 हजार फीट पर 24 घंटे तक उड़ान भरकर परीक्षण किया जायेगा। पहले चरण के परीक्षण में पिछले साल 10 अक्टूबर को 16,000 फीट की ऊंचाई पर आठ घंटे तक सफलतापूर्वक उड़ान भरी थी। रक्षा मंत्रालय वर्तमान में इजरायल एयरोस्पेस उद्योग के साथ बातचीत कर रहा है, ताकि न केवल हेरॉन ड्रोन के मौजूदा बेड़े को अपग्रेड किया जा सके, बल्कि मिसाइल और लेजर गाइडेड बमों के साथ हवा से सतह पर मार करने के काबिल बनाया जा सके। रुस्तम-2 भारतीय वायुसेना और नौसेना द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले इजरायली हेरॉन मानवरहित हवाई वाहन से बेहतर मुकाबला करेगा।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने स्वदेशी रूप से विकसित यूएवी के बारे में कहा कि इसे रणनीतिक टोही और निगरानी कार्यों के लिए डिज़ाइन किया गया है। सैन्य हार्डवेयर विकसित करने के भारत के पिछले प्रयास बहुत सफल नहीं हुए, इसलिए देश को अपनी सैन्य आवश्यकता का 60% से अधिक आयात करने के लिए मजबूर होना पड़ा। भारत संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा सैन्य खर्च करने वाला देश है। इसके बावजूद भारत संयुक्त राज्य अमेरिका और इजरायल जैसे देशों से महंगे आयात पर निर्भर था।स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीपरी) के अनुसार चीन ने न केवल पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के लिए ड्रोन का निर्माण किया है, बल्कि 2008 से 2018 तक 13 देशों में 163 बड़े हथियार-सक्षम यूएवी का निर्यात भी किया है। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे और ग्वादर बंदरगाह की सुरक्षा के लिए भी पाकिस्तान को 4 ड्रोन दिए हैं।
स्वदेशी रूप से अत्याधुनिक सैन्य उपकरणों के उत्पादन में भारत को ’आत्मनिर्भर’ बनाने के लिए पिछले साल सरकार ने तोपों, गोला-बारूद, पारंपरिक पनडुब्बियों और मिसाइलों समेत 101 रक्षा उपकरणों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया। रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने के लिए स्वदेशी युद्धक टैंक अर्जुन मार्क-1ए को भारतीय सेना को सौंप दिया। हालांकि अभी अर्जुन टैंक का ऑर्डर एचएएल को नहीं दिया गया है लेकिन जल्द ही यह सौदा होने की उम्मीद है। एक पखवाड़े पहले हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को 83 हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस एमके-1ए के लिए 48 हजार करोड़ का ऑर्डर दिया गया है। तेजस की इस डील से करीब 500 भारतीय कंपनियों को फायदा होगा जो विमान के अलग-अलग पुर्जे देश में ही बनाएंगी। एलसीए तेजस एमके-1ए का एचएएल को ऑर्डर मिलना स्वदेशी सैन्य उड्डयन सेवा में अब तक का सबसे बड़ा सौदा है।
क्या है रुस्तम-2 की खासियत
डीआरडीओ ने रुस्तम-2 को सेना की मदद करने के लिए बनाया है। यह ऐसा ड्रोन है जो दुश्मन की निगरानी करने, जासूसी करने, दुश्मन के ठिकानों की फोटो खींचने के साथ दुश्मन पर हमला करने में भी सक्षम है।अमेरिका आतंकियों पर हमला करने के लिए ऐसे ड्रोन का अक्सर इस्तेमाल करता रहता है। उसी तर्ज पर डीआरडीओ ने सेना में शामिल करने के लिए ऐसे ड्रोन बनाए हैं। सितम्बर, 2019 में पहली टेस्टिंग के दौरान यह क्रैश हो गया था। इसके बाद पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध शुरू होने के बाद डीआरडीओ ने फिर रुस्तम-2 प्रोग्राम शुरू किया। इस विमान को तापस बीएच-201 भी कहते हैं। रुस्तम-2 अमेरिकी ड्रोन प्रिडेटर जैसा है जो दुश्मन की निगरानी से लेकर हमला करने में सक्षम है।
उड़ान के दौरान नहीं करता ज्यादा शोर
रुस्तम-2 को डीआरडीओ के एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट इस्टैब्लिसमेंट ने एचएएल के साथ पार्टनरशिप करके बनाया है। इसका वजन करीब 2 टन का है। विमान की लंबाई 9.5 मीटर की है। रुस्तम-2 के पंखे करीब 21 मीटर लंबे हैं। यह 224 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से उड़ान भर सकता है। रुस्तम-2 कई तरह के पेलोड्स ले जाने में सक्षम है। इसमें सिंथेटिक अपर्चर राडार, इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस सिस्टम और सिचुएशनल अवेयरनेस पेलोड्स शामिल हैं। रुस्तम-2 में लगे कैमरे 250 किलोमीटर तक की रेंज में तस्वीरें ले सकते हैं।रुस्तम-2 यूएवी उड़ान के दौरान ज्यादा शोर नहीं करता है। यह पनडुब्बी से भी उड़ान भरने में सक्षम है।