नई दिल्ली, 07 मार्च (हि.स.)। बांग्लादेश के ऐतिहासिक बंदरगाह मोंगला पर सोमवार से 1971 के युद्ध में पाकिस्तान से मिली जीत और बांग्लादेश के अलग राष्ट्र बनने का जश्न मनाया जाएगा। ’स्वर्णिम विजय वर्ष’ पर तीन दिनों तक चलने वाले समारोह में हिस्सा लेने के लिए भारतीय नौसेना के दो युद्धपोत बांग्लादेश के लिए रवाना हो चुके हैं। पाकिस्तान के खिलाफ जीत के 50 साल पूरे होने का जश्न ‘स्वर्णिम विजय वर्ष’ के रूप में भारत और बांग्लादेश मिलकर मना रहे हैं। इसी क्रम में भी दोनों देशों में अलग-अलग तरह के कार्यक्रम हो रहे हैं।
‘स्वर्णिम विजय वर्ष’ पर बांग्लादेश की नौसेना ने मोंगला बंदरगाह पर 08-10 मार्च तक पाकिस्तान से अलग होकर स्वतंत्र राष्ट्र बनने का जश्न मनाने के लिए एक समारोह आयोजित किया है। स्वर्णिम विजय को याद करने के लिए भारत को आमंत्रित किया गया है। इस पर भारतीय नौसेना के स्वदेशी अपतटीय गश्ती जहाज आईएनएस सुमेधा (पी-58) और स्वदेश निर्मित गाइडेड मिसाइल कोरवेट कुलिश (पी-63) को इस जश्न में हिस्सा लेने के लिए भेजा गया है। दोनों जहाज स्वर्णिम विजय वर्ष और ऐतिहासिक भारत-बांग्लादेश मित्रता को दोहराते हुए समारोह में हिस्सा लेंगे।
नौसेना प्रवक्ता विवेक मधवाल ने बताया कि यह पहली बार है कि जब कोई भी भारतीय नौसैनिक जहाज बांग्लादेश के मोंगला बंदरगाह का दौरा कर रहा है। इस यात्रा का उद्देश्य बांग्लादेशी एवं भारतीय लड़ाकों और नागरिकों को श्रद्धांजलि देना है, जिन्होंने 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान अपना बलिदान दिया था। यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन को देखते हुए क्षेत्र में सुरक्षा और विकास के अनुरूप शांति, स्थिरता बनाए रखने के लिए भारत के दृढ़ संकल्प और प्रतिबद्धता को भी दोहराता है। भारतीय नौसेना के दोनों जहाजों के कमांडिंग ऑफिसर कार्यक्रम में शामिल होकर भारतीय नौसेना प्रमुख की ओर से दोनों देशों की नौसेनाओं की एकजुटता और साझेदारी के लिए बांग्लादेश की नौसेना का आह्वान करेंगे।
उन्होंने बताया कि 1971 में भारत-पाक युद्ध के दौरान एक संयुक्त अभियान में मुक्ति वाहिनी के मुक्तिजोधस और भारतीय नौसेना के लड़ाकों में शामिल फोर्स अल्फा ने पाकिस्तानी सेना से मोंगला का नियंत्रण और युद्ध छेड़ा था। इसी की याद में यह कार्यक्रम बांग्लादेशी नौसेना की ओर से आयोजित किया गया है। जहाज के चालक दल कोविड-19 प्रोटोकाल का पालन करते हुए कार्यक्रम में शामिल होंगे। बांग्लादेश की नौसेना में अपने समकक्षों के साथ अपने पेशेवर और सांस्कृतिक सम्बन्ध आदान-प्रदान के साथ-साथ मैत्रीपूर्ण खेल से जुड़कर दोनों नौसेनाओं के बीच तालमेल को और बढ़ाएंगे। इससे दोनों नौसेनाओं के बीच सम्बन्ध और ज्यादा मजबूत करने का अवसर मिलेगा।