रूस में भारतीय नौसेना के लिए तैयार की गई फ्रिगेट ‘तुशील’ लॉन्च

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प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हुआ था अनुबंध

 भारतीय रीति-रिवाजों के अनुसार की गई पी 1135.6 वर्ग के जहाज की पूजा-अर्चना



नई दिल्ली, 29 अक्टूबर (हि.स.)। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अक्टूबर, 2018 में द्विपक्षीय वार्ता के दौरान किये गए अनुबंध के आधार पर भारतीय नौसेना के लिए तैयार की गई फ्रिगेट ‘तुशील’ को रूस के कालिनिनग्राद स्थित यानतर शिपयार्ड में लॉन्च किया गया। रूस में भारतीय राजदूत डी बाला वेंकटेश वर्मा की मौजूदगी में श्रीमती दात्ला विद्या वर्मा ने भारतीय रीति-रिवाजों के अनुसार पी 1135.6 वर्ग के जहाज की पूजा-अर्चना की। समारोह के दौरान उन्होंने पोत का नामकरण किया। संस्कृत में ‘तुशील’ का अर्थ ‘रक्षात्मक कवच’ होता है। इसे जल्द ही भारत लाकर नौसेना के बेड़े में शामिल किया जायेगा।

अक्टूबर, 2018 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच द्विपक्षीय वार्ता के अंत में एक अनुबंध पर पी 1135.6 श्रेणी के चार अतिरिक्त जहाजों के निर्माण के लिए हस्ताक्षर किए गए थे। दोनों सरकारों के बीच इस अंतर-सरकारी समझौते के अनुसार दो पोत रूस में और दो पोत भारत में बनाये जाने थे। रूस में बनाए जाने वाले इन्हीं दो जहाजों में से एक का निर्माण पूरा करके कालिनिनग्राद स्थित यानतर शिपयार्ड में लॉन्च किया गया है। भारत में दो जहाजों का निर्माण गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) में रूस से प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के तहत किया जा रहा है। ये जहाज अत्याधुनिक भारतीय और रूसी हथियारों और सेंसर से लैस हैं। उनके पास समुद्रतटीय और नीले पानी में काम करने की क्षमता है।

गाइडेड-मिसाइल फ्रिगेट के वर्ग में प्रोजेक्ट 1135.6 को तलवार क्लास के नाम से भी जाना जाता है। इन्हें भारतीय नौसेना के लिए रूस ने डिजाइन और निर्मित किया है। ये संशोधित क्रिवाक III-श्रेणी के फ्रिगेट हैं, जो रूसी एडमिरल ग्रिगोरोविच-श्रेणी के फ्रिगेट का मुख्य आधार भी हैं। रूस में बनाए जा रहे फ्रिगेट्स की लागत लगभग 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर है। इन जलपोतों का निर्माण भारतीय नौसेना की विशेष जरूरतों को ध्यान में रखकर किया जा रहा है, ताकि वायु, सतह और उप-सतह जैसे सभी तीन आयामों में समुद्री जंग के दौरान इस्तेमाल किया जा सके।

प्रवक्ता के अनुसार ये जलपोत भारत और रूस के उन्नत हथियारों और संवेदी उपकरणों से लैस होंगे, जो अपनी समुद्री सीमा के भीतर और खुले सागर में अकेले तथा पूरी नौसेना के साथ सक्रिय रूप से हिस्सा लेने में सक्षम होंगे। इनमें ‘स्टेल्थ टेक्नोलॉजी’ लगी होगी, जिसके कारण वे निचले स्तर पर काम करने वाले राडार से बच जायेंगे तथा गहरे पानी के भीतर किसी प्रकार का शोर भी नहीं करेंगे। जहाजों को भारत से प्राप्त प्रमुख उपकरणों से लैस किया जा रहा है, जैसे सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल, सोनार प्रणाली, सतह की निगरानी करने वाले राडार, संचार-तंत्र और पनडुब्बी रोधी प्रणाली। इनके अलावा इनमें रूसी सतह से सतह पर वार करने वाली मिसाइल और तोपें-बंदूकें भी लगाई जा रही हैं।

कालिनिनग्राद स्थित यानतर शिपयार्ड के महानिदेशक इल्या समारिन का कहना है कि शिपयार्ड के सामने जटिल पोत निर्माण परियोजना को पूरा करने का चुनौतीपूर्ण कार्य था। वर्तमान महामारी के हालात की चुनौतियां होने के बावजूद जलपोतों का निर्माण जारी रखा गया और उसके लिए नये तरह के समाधान निकाले गये। उन्होंने कहा कि भारत सरकार का लगातार समर्थन मिलता रहा। उन्होंने भारत सरकार को इसके लिए धन्यवाद दिया और यह प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि अनुबंध के मुताबिक समय-सीमा के भीतर जलपोतों को सौंप दिया जायेगा।

मास्को में भारत के राजदूत डी. बाला वेंकटेश वर्मा ने भारत और रूस के बीच सैन्य तकनीकी सहयोग की लंबी परंपरा का उल्लेख किया। उन्होंने यानतर शिपयार्ड का शुक्रिया अदा किया कि कोविड-19 की चुनौतियों का मुकाबला करते हुए शिपयार्ड ने तय समय-सीमा के भीतर जलपोत सौंप दिया है। समारोह में रूसी संघ के वरिष्ठ गण्यमान्य और भारतीय नौसेना के अधिकारी भी उपस्थित थे।


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