नरेंद्र मोदी ने दिनकर की रचना को शाश्वत सत्य बना दिया है : गिरिराज सिंह

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श्रीकृष्ण बाबू की जन्मभूमि मुंगेर और कर्मभूमि गढ़पुरा रही है, तो राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जन्म भूमि बेगूसराय और कर्मभूमि पूरा भारत रहा।



बेगूसराय ,23 सितम्बर (हि.स.)। इस धरती ने देशभर में चर्चित दो विभूतियों को जन्म दिया है। श्रीकृष्ण बाबू की जन्मभूमि मुंगेर और कर्मभूमि गढ़पुरा रही है, तो राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जन्म भूमि बेगूसराय और कर्मभूमि पूरा भारत रहा। दिनकर एक कवि ही नहीं भविष्यवक्ता थे। उनकी एक-एक बातें उनकी मृत्यु के बाद अक्षरश्: सत्य हो रही है। यह विचार केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने व्यक्त किये।
वे सोमवार को बेगूसराय में आयोजित दिनकर जयंती समारोह का उद्घाटन करने के बाद लोगों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि दिनकर की कविता एक भविष्यवक्ता की तरह देश के सामने है। वह नहीं जानते थे कि 1974 के बाद 1977 में भारत की राजनीति ऐसी करवट लेगी, जिसका नाम भारतीय जनता पार्टी होगा और उसके नेता नरेंद्र मोदी होंगे। लेकिन उन्होंने कहा था कि एक हाथ में कमल लिये, एक हाथ में विज्ञान। वह बात आज पूरी तरह से सत्य हो रही है। दुनिया का सबसे ताकतवर अमेरिका भारत के सामने नतमस्तक है। आज हर ओर भारत माता की जय-जय कार हो रही है। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने कभी शिकागो में भारतीय संस्कृति का झंडा फहराया था, आज भारत का झंडा नरेंद्र मोदी के रूप में दुनियाभर में साकार हो रहा है, जो कि दिनकर के शब्दों की महिमा है।
गिरिराज सिंह ने कहा कि राष्ट्रकवि दिनकर ने कहा था ‘सिंहासन खाली करो जनता आती है’, उनका यह भाषण, उनकी यह कविता जयप्रकाश नारायण के रूप में चरितार्थ हुई। दिनकर के शब्दों में दूरदर्शिता था। तुलसी के राम का चरित्र आज भी दिनकर के रचना की तरह चरितार्थ हो रहा है। भारत की संस्कृति राम की पक्षधर है। रश्मिरथी की नजरों में आज भारत का परिदृश्य हो रहा है। उन्होंने कहा था कि जीवन जय या मरण होगा। आज नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान को यह जता दिया है। भारतीय संस्कृति के तहत नमो के नवाज के घर गये। लेकिन उसका दुष्परिणाम सामने आने पर उसको औकात भी दिखा दी। अटलजी ने आगरा में समिट किया था, लेकिन पाकिस्तान ने पीठ पर छुरा भोंका तो उसका परिणाम उसे मिल गया। नरेंद्र मोदी ने दोस्ती का हाथ बढ़ाया था। यह दिनकर की रचना को शाश्वत सत्य बना रहा है। उन्हें नेहरू ने राज्यसभा का सदस्य बनाया था। लेकिन गलती करने पर वे नेहरू को भी नहीं छोड़ते थे। आज दिनकर के शब्दों में नरेंद्र मोदी भारत की शान हैं। दिनकर की कविता देश को एक नई दिशा दे रही है। कवियों में स्पर्धा है, इसके बावजूद उनकी कलम सशक्त है और जब कभी देश को जरूरत पड़ती है, कवियों की कलम एक नई दिशा देती है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कवि संगम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदीश मित्तल तथा संचालन लोक कवि सच्चिदानंद पाठक ने किया। जबकि स्वागत भाषण कवि संगम के जिलाध्यक्ष प्रभाकर राय ने किया।

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