नई दिल्ली, 08 जनवरी (हि.स.)। दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की तरफ से बुलाये गए भारत बंद का असर राजधानी दिल्ली में फीका है, लेकिन देशभर में इसका व्यापक असर दिख रहा है। बंद का समर्थन छह बैंक संगठनों, 60 छात्र संगठनों, वामदलों समेत कई संस्थाओं ने किया है। ट्रेड यूनियन के संयुक्त बयान में कहा गया कि करीब 25 करोड़ लोग बंद का समर्थन कर रहे हैं। बंद का असर ट्रेन, बस, सरकारी बैंकों और दूसरी सेवाओं पर स्पष्ट रुप से दिख रहा है। बता दे कि भारतीय मजदूर संघ आज के बंद में शामिल नहीं हुआ है।
ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) में राज्य समिति सदस्य राजेश कश्यप ने फोन पर बातचीत में बताया कि बारिश की वजह से लोग उम्मीद के अनुसार कम एकत्र हुए हैं। मंगोलपुरी फेस-2 इंडस्ट्रियल एरिया में सभी को एकजुट होकर फेस-1 और नांगलोई के उद्योग नगर तक जाने की योजना है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के जरिए सभी कर्मचारियों को इकट्ठा करने की योजना बनी है। दिल्ली में 11 ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ने 16 सूत्रीय मांगों को मुद्दा बनाया है। राजेश ने बताया कि कारखानों/संस्थानों में घोषित न्यूनतम वेतन 14,842 रुपये और मजदूरों की सुरक्षा सुनिश्चित होनी चाहिए। बहरहाल, दिल्ली में कोई बाजार बंद होने की जानकारी नहीं मिली है। सभी बाजार सामान्य रूप से खुले हुए हैं। आम जनजीवन पूरी तरह सामान्य है। हालांकि, मौसम का कुछ असर जरूर दिख रहा है।
बंद के दौरान पश्चिम बंगाल के कूचबिहार में बंद के समर्थक प्रदर्शनकारियों ने एक बस में तोड़फोड़ की है। कोलकाता में बंद के दौरान सड़क पर आपस में टीएमसी और एसएफआई कार्यकर्ता आपस में भिड गए। वहीं महाराष्ट्र में उद्धव सरकार में पीडब्ल्यूडी मंत्री अशोक चव्हाण बोले, राज्य सरकार भारत बंद का समर्थन करती है। केंद्र सरकार मजदूर-विरोधी सरकार है। शिवसेना ने भी ट्रेड यूनियन्स द्वारा बुलाए गए भारत बंद का समर्थन किया है। केंद्र सरकार पर उसकी नीतियों और फैसलों को लेकर निशाना साधा है। कर्नाटक के मदिकेरी में प्रदर्शनकारियों ने कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम (केएसआरटीसी) की बस में तोड़फोड़ की है।
क्या है प्रमुख मांगें
-21 हजार रुपये महीने राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन निर्धारित करो। महंगाई के अनुसार, समय-समय पर न्यूनतम वेतन को बढ़ाओ। दिल्ली में घोषित न्यूनतम वेतन 14,842 रुपये सख्ती से लागू करो।
-मजदूर-विरोधी चारों ‘लेबर कोड’ वापस लो। सभी श्रम कानूनों को सख्ती से लागू करो। कार्यस्थल पर सुरक्षा के पुख्त इंतजाम करो। श्रम कानूनों का उल्लंघन करने वाले मालिकों को सजा दो।
-स्थाई काम में ठेका मजदूरी पर रोक लगाओ। ठेका मजदूरों को उसी स्थान पर पक्का करो। ठेका व दिहाड़ी मजदूरों को पक्के मजदूरों-कर्मचारी के समान वेतन व अन्य सुविधा दो।
-‘फिक्स्ड टर्म एम्पलॉयमेंट’, नीम, अपरेंटिस एक्ट में संशोधन आदि को फौरन रद्द करो।
-स्कीम वर्कर्स आंगनवाड़ी-आशा-मिड-डे-मील कर्मियों को सरकारी कर्मचारी घोषित करो। तब तक उन्हें न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा दो।
-महिलाओं और पुरुषों को समान काम के लिए समान वेतन को सख्ती से लागू करो।
-सभी सरकारी विभागों में रिक्त स्थानों पर फौरन भर्ती करो। नई भर्तियों पर लगी रोक हटाओ।
-सर्वव्यापक सार्वजनिक वितरण व्यवस्था के माध्यम से सभी को अच्छी गुणवत्ता के अनाज, दालें और सरकारी जरूरी चीजें मुनासिब दामों पर मुहैया करवाओ।
ट्रेड यूनियन प्रस्तावित लेबर लॉ के विरोध में है। इसको लेकर उनकी मुलाकात लेबर मिनिस्टर से भी हुई थी, लेकिन बात नहीं बन पाई जिसके बाद बंद को जारी रखने का फैसला लिया गया था।
छात्र संगठन क्यों समर्थन कर रहे हैं?
पिछले कुछ समय से अलग-अलग मुद्दों पर छात्रों का प्रदर्शन पूरे देश में अलग-अलग यूनिवर्सिटी में हुआ है। सरकार के कुछ फैसलों का छात्रों ने विरोध किया है। इसके अलावा हॉस्टल और कॉलेज फीस बढ़ाए जाने का भी छात्र विरोध कर रहे हैं। मुख्य रूप से हॉस्टल और कॉलेज फीस बढ़ाने के विरोध में छात्र संगठन भारत बंद में शामिल हुआ है।
रेलवे के कर्मचारियों ने भी बंद का समर्थन
तेजस के लॉन्च होने के बाद प्राइवेट ट्रेन का विस्तार और विकास तेजी से हो रहा है। रेलवे कर्मचारी इसके निजीकरण का विरोध कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल के 24 परगना, हावड़ा में बंद समर्थकों ने ट्रेनें रोकीं। इसके अलावा देश के अलग-अलग हिस्सों में ट्रेन सेवा पर असर पड़ा है।