बौद्ध सर्किट विकास के लिए 5 परियोजनाओं को पर्यटन मंत्रालय ने दी मंजूरी
नई दिल्ली, 5 अक्टूबर (हि.स.)। पर्यटन मंत्रालय ने स्वदेश दर्शन योजना के तहत मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात तथा आंध्र प्रदेश राज्यों में बौद्ध सर्किट विकास के लिए 325.53 करोड़ रुपये की 5 परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इसके साथ बौद्ध पर्यटन की संभावनाओं को बढ़ावा देने के लिए बौद्ध सर्किट पर 04 अक्टूबर से 08 अक्टूबर तक बौद्ध सर्किट ट्रेन एफएएम टूर और सम्मेलन का आयोजन कर रहा है।
पर्यटन मंत्रालय के मुताबिक बौद्ध सर्किट में पर्यटन के विकास एवं प्रचार के संबंध में प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। एफएएम टूर में प्रमुख बौद्ध स्थलों के साथ-साथ बोधगया और वाराणसी के सम्मेलन स्थलों की यात्रा शामिल होंगी। इस कार्यक्रम में टूर ऑपरेटरों, होटल व्यवसायियों, मीडिया तथा पर्यटन मंत्रालय एवं राज्य सरकारों के अधिकारियों सहित लगभग 125 प्रतिनिधियों के भाग लेने की संभावना है। इसके अलावा, लगभग 100 स्थानीय टूर ऑपरेटर तथा पर्यटन एवं आतिथ्य क्षेत्र के अन्य हितधारक सर्किट में पर्यटन के विकास और प्रचार के संबंध में प्रमुख मुद्दों पर चर्चा करने के लिए बोधगया और वाराणसी में होने वाले कार्यक्रम में भाग लेंगे।
देश में भगवान बुद्ध के जीवन से जुड़े कई महत्वपूर्ण स्थलों के साथ एक समृद्ध प्राचीन बौद्ध विरासत है। देश में बौद्ध पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। भारतीय बौद्ध विरासत पूरी दुनिया में बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए बहुत रुचिकर है। बौद्ध धर्म की उत्पत्ति 2500 साल से भी पहले प्राचीन भारत में हुई थी और यह एशिया के अधिकांश हिस्सों में फैल गया। करीब 500 मिलियन अनुयायियों के साथ, बौद्ध दुनिया की कुल जनसंख्या के 7 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करते हैं।
पवित्र स्थल बुद्ध के जीवन चक्र का अनुसरण करते हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण हैं – बुद्ध का जन्मस्थान लुंबिनी (नेपाल), बोधगया – जहां उन्होंने ज्ञान प्राप्त किया, सारनाथ – जहां बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद अपना पहला उपदेश दिया, जिसे धर्मचक्र प्रवर्तन भी कहा जाता है, कुशीनगर – जिसे बुद्ध ने अपने अंतिम प्रस्थान अथवा महापरिनिर्वाण के लिए चुना था, नालंदा- जो दुनिया के पहले आवासीय विश्वविद्यालयों में से एक था और शिक्षण का एक केन्द्र था, राजगीर – जहां गृध्रा कूटा (गिद्धों की पहाड़ी) में बुद्ध ने ध्यान और उपदेश देते हुए कई महीने बिताए, श्रावस्ती – जहां उन्होंने अपने कई सुत्त (उपदेश) पढ़ाए, और वैशाली – जहां बुद्ध ने अपने कुछ अंतिम उपदेश दिए थे।