ममता सरकार और राज्यपाल का टकराव राष्ट्रपति तक पहुंचा

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 तृणमूल ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र, राज्यपाल धनखड़ को हटाने की मांग



कोलकाता, 30 दिसम्बर (हि.स.)। पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार और राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच चल रहा टकराव राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तक पहुंच गया है। राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को हटाने की मांग की है। इधर, राज्यपाल ने उनके आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हुए कहा कि वह अपने संवैधानिक दायित्व का पालन कर रहे हैं। उनका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है।
तृणमूल एमपी सुखेंदु शेखर रॉय ने बुधवार को टीएमसी के पार्टी कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पिछले साल नियुक्ति के बाद से राज्यपाल संवैधानिक नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। राज्यपाल का पद संवैधानिक है और संविधान के अनुसार उन्हें राज्य मंत्रिमंडल के सुझाव पर काम करना चाहिए लेकिन जब से उनकी नियुक्ति हुई है, वह न केवल सीएम पर हमला बोल रहे हैं, वरन प्रत्येक दिन ट्वीट कर और संवाददाता सम्मेलन कर राज्य प्रशासन और पुलिस की भी आलोचना कर रहे हैं।
तृणमूल नेता ने कहा कि उन्होंने सीएम से सार्वजनिक रूप से माफी मांगने तक की बात कही है। उन्होंने कहा कि तृणमूल सांसदों द्वारा हस्ताक्षरित ज्ञापन मंगलवार को राष्ट्रपति को सौंपा गया है। ज्ञापन में राष्ट्रपति से अनुरोध किया गया है कि जगदीप धनखड़ राज्यपाल पद के योग्य नहीं हैं। वह जानबूझ कर संविधान और सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश की अवहेलना कर रहे हैं। इसलिए संविधान की धारा 156 उपधारा 1 के अनुसार राष्ट्रपति असंवैधानिक और गैर कानूनी काम करने के कारण उन्हें राज्यपाल पद से हटाएं।
राज्यपाल बोले-मैं अपने संवैधानिक दायित्व का कर रहा हूं निर्वहन
दूसरी ओर, राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा कि उन्होंने संविधान की शपथ ली है और वह अपने संवैधानिक दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं। गवर्नर ने कहा कि मैं राजनीति से कोसों दूर हूं। मैंने केवल अपने संवैधानिक दायित्व का निर्वहन किया है और कुछ गंभीर मुद्दे उठाए हैं। उन्होंने कहा कि देश के किसानों को प्रत्येक वर्ष 12000 रुपये मिल रहे हैं लेकिन बंगाल के अन्नदाता को ये पैसे नहीं मिल रहे हैं, तो क्या राज्य के राज्यपाल के रूप में उन्हें दर्द नहीं होगा? राज्य के 70 लाख किसानों को उनके हितों से वंचित किया गया है।

 


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