बंगाल : विधानसभा चुनाव से पहले डगमगाया तृणमूल का विश्वास, माकपा-कांग्रेस से मांगी मदद
कोलकाता, 14 जनवरी (हि.स.)। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस का विश्वास डगमगाने लगा है। राज्य में भाजपा के बढ़ते जनाधार को रोकने के लिए कांग्रेस और माकपा से साथ देने की अपील की है।
पश्चिम बंगाल में सत्ता पर कब्जा जमाने के लिए भाजपा ने अपनी घेराबंदी शुरू कर दी है और जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं। भाजपा का दबदबा बढ़ता जा रहा है। इससे तृणमूल में भगदड़ सी मची है। इससे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि तृणमूल का विश्वास टूटता जा रहा है।अभी तक एक दूसरे का विरोधी करनी वाली भाजपा विरोधी पार्टियां अब एकजुट होने की कवायद करने लगी है। इसकी शुरुआत तृणमूल के वरिष्ठ नेता तापस रॉय ने पहले की थी, लेकिन अब पार्टी के वरिष्ठ सांसद सौगत रॉय ने खुलेआम कांग्रेस और माकपा पार्टियों को साथ आने का आमंत्रण दे दिया है।
सौगत रॉय ने कहा, “यदि वामपंथी और कांग्रेस भाजपा विरोधी ताकतें हैं, तो उन्हें तृणमूल के पीछे आना चाहिए क्योंकि यह एकमात्र पार्टी है, जो भाजपा की विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ लड़ रही है।”
हालांकि कांग्रेस और माकपा पार्टियों ने पहले ही तृणमूल का साथ आने से इनकार कर दिया है। हाल में कांग्रेस के बंगाल ईकाई के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा था कि राज्य में तृणमूल के खिलाफ राज्य की जनता है। भाजपा को भी जनता पसंद नहीं करती है। ऐसे में माकपा और कांग्रेस पार्टियां ही जनता के लिए विकल्प हैं।
तृणमूल का खत्म हो गया है विश्वास: दिलीप
भाजपा के बंगाल इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, “आज टीएमसी के पास न तो जनाधार है और न ही संगठन है। लोग पार्टी छोड़ कर जा रहे हैं। उनका विश्वास खत्म हो रहा है। उनको विश्वास हो गया है कि अब अकेले भाजपा का मुकाबला नहीं कर सकती है, लेकिन राज्य की जनता ने तय कर लिया है। इस बार बंगाल में भाजपा की ही सरकार बनेगी।”