बंगाल में नगर निकाय चुनाव पर टिकी भाजपा की नजर

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पश्चिम बंगाल में इस आम चुनाव में 42 में से 18 सीटों पर शानदार जीत हासिल करने वाली  भाजपा की नजर  अब अगले साल होने वाले शहरी  निकाय  चुनावों पर टिकी   हैं। इससे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को अपने गढ़ को बचाए रखने की सबसे कठिन चुनौती होगी।



कोलकाता, 28 मई (हि.स.)। पश्चिम बंगाल में इस आम चुनाव में 42 में से 18 सीटों पर शानदार जीत हासिल करने वाली  भाजपा की नजर  अब अगले साल होने वाले शहरी  निकाय  चुनावों पर टिकी   हैं। इससे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को अपने गढ़ को बचाए रखने की सबसे कठिन चुनौती होगी। आम चुनाव में भाजपा  ने कोलकाता नगर निगम (केएमसी) के  144 वार्डों में से लगभग 51 में अच्छा प्रदर्शन  किया है। 2020 में पालिका चुनाव होने हैं और राज्य  सरकार ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैै। सोमवार को ही राज्य के मुख्य चुनाव आयुक्त को बदल दिया गया है और 12 जिलों के जिलाधिकारियों का तबादला हुआ हैै। उन सभी क्षेत्रों के जिलाधिकारियों को बदला गया है जहां भारतीय जनता पार्टी का प्रदर्शन बेहतर रहा है। माना जा रहा है कि चुनाव परिणामों को ध्यान में रखते हुए ही बंगाल सरकार ने यह निर्णय लिया है। इसे लेकर एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी ने राज्य सरकार पर प्रशासनिक मदद से चुनाव जीतने की जुगत लगाने का आरोप लगाना शुरू कर दिया है। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और पश्चिम बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, “बंगाल में, लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक नए भारत के दृष्टिकोण पर प्रतिक्रिया दी। यही कारण है कि उन्होंने सत्तारूढ़ तृणमूल को खारिज कर दिया। हमें स्वीकार किया और 18 सीटों पर हमारे लिए जीत दी। इसी तरह, बंगाल में नगर निगम के वार्डों और विधानसभाओं में भी इसका असर देखा गया। अब राज्य सरकााार चाहे जितनी कोशिश कर ले उसे सफलता मिलने वाली नहीं है।” उन्होंने कहा कि लोग टीएमसी की गुंडागर्दी से तंग आ चुके हैं। यदि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव हो तो इसमें कोई संदेह नहीं है कि हम अगले साल केएमसी और 2021 में विधानसभा चुनावों में हम जीतेंगे।” भाजपा के वरिष्ठ नेता सुनील देवधर ने कहा, “बंगाल में सरकार 2021 से पहले गिर सकती है। देखिए, 2020 में नागरिक चुनाव होने वाले हैं। अगर हमें टीएमसी पार्षदों का समर्थन मिलता है, जो हमारे संपर्क में हैं तो राज्य की सत्ता पर कब्जा करना मुश्किल नहीं होगा। उन्होंने कहा, “यह सत्तारूढ़ टीएमसी के खिलाफ सत्ता-विरोधी था, जिसने हमें बंगाल में जनादेश दिया।”

कोलकाता नगर निगम के  वरिष्ठ मेयर-इन-काउंसिल सदस्यों स्वपन समददार (वार्ड 58), रतन डे (वार्ड 93), देबाशीष कुमार (वार्ड 85) और जुही विश्वास (वार्ड 81) के वार्डों में भाजपा जीती है । इसके अलावा  तीन बोरो टीएमसी चेयरपर्सन – संदीप बक्शी, रतन मालाकार और सुशांत घोष – अपने-अपने वार्ड में बढ़त दिलाने में विफल रहे हैं। टीएमसी सांसद सुदीप बंदोपाध्याय भी कोलकाता उत्तर लोकसभा क्षेत्र में जोरासांको में 11 वार्डों में से आठ में बढ़त बनाने में विफल रहे। जादवपुर में, टीएमसी चार वार्डों में हार चुकी है। हालांकि, केएमसी के डिप्टी मेयर, अतीन घोष ने बीजेपी के दावों को खारिज करते हुए कहा, “अगर हम कुछ वार्डों में फंस गए, तो इसका मतलब यह नहीं है कि हम केएमसी के साथ-साथ विधानसभा चुनाव भी हारने वाले हैं। केएमसी चुनाव और विधानसभा चुनाव दोनों स्थानीय मुद्दों पर लड़े जाते हैं। भाजपा को इसमें  सफलता नहीं मिलेगी। हिन्दुस्थान

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