सतपुड़ा के अंदरूनी क्षेत्र में पहुंची बांधवगढ़ की बाघिन, चीतल का किया शिकार

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बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की एक बाघिन को करीब चार महीने पहले सतपुड़ा टाइगर रिजर्व लाया गया था। इसे 19 जून को रिजर्व के चूरना क्षेत्र में छोड़ा गया था।



होशंगाबाद, 02 जुलाई (हि.स.)। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में छोड़ी गई बांधवगढ़ की बाघिन अब टाइगर रिजर्व के अंदरूनी क्षेत्रों में पहुंच गई है। रिजर्व प्रबंधन के लिए सबसे खुशी की बात यह है कि बाघिन ने एक चीतल का शिकार भी किया है। प्रबंधन ने मंगलवार को इसकी जानकारी  मीडिया काे दी।
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की एक बाघिन को करीब चार महीने पहले सतपुड़ा टाइगर रिजर्व लाया गया था। इसे 19 जून को रिजर्व के चूरना क्षेत्र में छोड़ा गया था। रिजर्व प्रबंधन के मुताबिक छोड़े जाने के बाद से बाघिन की लगातार निगरानी की जा रही है। अब यह बाघिन जहां पर उसे छोड़ा गया था, वहां से करीब 10 किलोमीटर अंदर पहुंच गई है। रिजर्व के अमले के अलावा बाघिन के गले में मौजूद रेडियो कॉलर से भी उसकी निगरानी की जा रही है। रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर एस.के.सिंह का कहना है कि बाघिन का स्वास्थ्य और व्यवहार सामान्य है।
बाघिन ने किया चीतल का शिकार
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व प्रबंधन के लिए सबसे ज्यादा खुशी की बात यह है कि बाघिन ने करीब 3 दिन पहले अपने दम पर एक चीतल का शिकार किया है। सतपुड़ा रिजर्व लाए जाने से पहले इस बाघिन को बांधवगढ़ में एनक्लोजर में ही रखा गया था। उसके बाद एसटीआर में भी चार महीनों तक उसे एनक्लोजर में ही रखकर उसके स्वास्थ्य और व्यवहार पर नजर रखी गई। सभी चीजें सामान्य होने पर 19 जून को उसे जंगल में छोड़ा गया था। लंबे समय तक एनक्लोजर में रहने के बाद बाघिन को शिकार करने में कोई समस्या न आए, इस बात से रिजर्व प्रबंधन चिंतित था। फील्ड डायरेक्टर एस.के.सिंह का कहना है कि छोड़े जाने के दो दिन बाद तक जब उसने कोई शिकार नहीं किया, तो उसे एक पाड़ा उपलब्ध कराया गया था।

 


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