पाली, 28 मार्च (हि.स.)। खुशी के मौकों पर इन हाथों ने तालियां पीट-पीटकर बधाइयां ली थी। ढोलक पर नाच-गाकर खुशियां बिखेरी थी। बेटे-बेटी के जन्म की खुशियां हो या फिर वैवाहिक जीवन की शुरुआत, पाली का किन्नर समाज अब तक खुशियां बांटते आया था। कभी उनके मुंह से निकली बधाई की राशि का सुनकर कइयों के मन में खटास भी आई होगी लेकिन किन्नर समाज की शनिवार को शुरू हुई पहल का सुनकर शहरवासी हर्षित हैं। यह पहला मौका है जब बधाई लेने वाले हाथों से समाज के जरूरतमंदों तक संकट की घड़ी में खुशियां बांटी जा रही है। पाली किन्नर समाज की गादीपति आशा कुंवर ने किन्नर समाज के सहयोग से शहर के गरीब जरूरतमंदों को राहत सामग्री के साथ नकद राशि बांटना शुरू किया गया है।
वैश्विक महामारी बन चुके कोरोना वायरस के संक्रमण के बीच केन्द्र तथा राज्य सरकारों ने 21 दिन का लॉकडाउन घोषित किया है। लॉकडाउन का शनिवार को चौथा दिन है। गुजरे छह दिनों से पाली पूरी तरह से बंद है। लोगों का रोजगार बंद है। दिहाड़ी श्रमिकों के परिवारों में पेट पालने की चिंता को लेकर मायूसी का आलम है।
औद्योगिक नगरी होने के कारण पाली के कपड़ा कारखानों में उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश समेत कई प्रांतों के श्रमिक सालों से कामकाज कर गुजारा कर रहे हैं। इन श्रमिकों का पेट भरने के लिए सरकारी स्तर पर प्रयास हो रहे हैं लेकिन ऐसे संकट के दौर में पाली में पहली बार बधाई मांगने वाले हाथों ने एक ऐसी अनूठी पहल की है, जिसने पूरे देश के सामने एक नई मिसाल खड़ी की है।
पाली की किन्नर हवेली की गादीपति आशा कुंवर ने किन्नर समुदाय के सहयोग से शहर की गरीब जनता के लिए अपने खजाने के दरवाजे खोल दिए हैं। किन्नर समुदाय की ओर से पाली की गरीब जनता एवं दिहाड़ी मजदूरी करने वाले लोगों के लिए 15 दिन तक का परचूनी सामान और आर्थिक सहयोग शुरू किया गया है। शनिवार को हुई इस शुरुआत में पाली के कई गरीब परिवारों को भोजन के पैकेट और आर्थिक सहयोग मिलने के बाद उनकी आंखों में आंसू आ गए।
गादीपति आशा कुंवर का कहना है कि पाली में जब तक लॉकडाउन रहेगा, लोगों की स्थिति सुधारने और गरीबों का पेट भरने के लिए उनका खजाना खुला रहेगा। उनका मकसद है कि पाली की जनता का एक भी बच्चा भूखा ना सोए और ना ही भूखा उठे। लॉकडाउन की स्थिति के दौरान उनकी हवेली पर लोगों के लिए परचूनी सामान और आर्थिक सहयोग का कार्य निरंतर जारी रहेगा।