बजट 2020: इन वजहों से दशक का सबसे कठिन होगा ये बजट

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नई दिल्‍ली, 30 जनवरी (हि.स.)। वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ऐसे वक्‍त में वित्‍त वर्ष 2020-21 का बजट पेश करने जा रही हैं, जब आर्थिक वृद्धि दर घटकर एक दशक के निचले स्तर पर आ गई है। इस महीने की शुरुआत में सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर पांच प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। वहीं,  आर्थिक विकास दर घटने का असर सरकार की वित्तीय सेहत पर भी पड़ा है। इसके अलावा इस वित्त वर्ष में राजस्‍व भी तय लक्ष्य से करीब दो लाख करोड़ रुपये कम रहने के आसार हैं। इसके मायने ये है कि एक फरवरी को आम बजट में निर्मला सीतारमण को उम्मीदों और हकीकत के बीच संतुलन बैठाना पड़ेगा।

आर्थिक वृद्धि दर में कमी

आर्थिक वृद्धि दर के अग्रिम अनुमान के अनुसार मौजूदा वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान यह पांच प्रतिशत रहेगी। वहीं, अर्थव्यवस्था से जुड़े दूसरे महत्‍वपूर्ण आंकड़ें भी गिरकर कई साल के निचले स्तर पर आ गए हैं। इसमें निवेश की ग्रोथ भी शामिल है,  जिसके सिर्फ एक प्रतिशत ही रहने का अनुमान है, जो पिछले 17 साल में निवेश की सबसे कम ग्रोथ है। इस तरह दूसरे आंकड़ों के बारे में जानते हैं।

जीडीपी ग्रोथ :- 5 प्रतिशत (11 साल में सबसे कम)

निजी खपत :- 5.8 प्रतिशत (7 साल में सबसे कम)

निवेश की ग्रोथ :- 1 प्रतिशत (17 साल में सबसे कम)

मैन्यूफैक्चरिंग :- 2 प्रतिशत (15 साल में सबसे कम)

कृषि :- 2.8 प्रतिशत (4 साल में सबसे कम)

महंगाई दर में भी उछाल

दिसम्‍बर में खुदरा मूल्य आधारित महंगाई की दर भी बढ़कर 7.35 प्रतिशत पर पहुंच गई है, जो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के तय लक्ष्य से ज्‍यादा है। दरअसल दिसम्‍बर में सब्जियों की कीमतों में तेज उछाल की वजह से मुद्रास्फीति यानी महंगई दर में तेज उछाल आया।

तय लक्ष्य से अधिक रहेगा राजकोषीय घाटा

राजकोषीय घाटा का भी तय लक्ष्‍य से कम से कम 0.5 प्रतिशत अधिक रहने का अनुमान जताया जा रहा है। इसका मतलब है कि राजकोषीय घाटा 3.8 प्रतिशत रहेगा। गौरतलब है कि सरकार ने राजकोषीय घाटे के लिए 3.3 प्रतिशत (जीडीपी का) लक्ष्य रखा था।

टैक्‍स (कर) संग्रह अनुमान से रहेगा कम

सरकार का टैक्स संग्रह तय लक्ष्य से 2 लाख करोड़ रुपये कम रहने का अनुमान है। इस लिहाज से इसका सीधा असर सरकार की वित्तीय सेहत पर पड़ेगा। वह बजट में खर्च बढ़ाने वाले उपायों का ऐलान करने से बचेगी।

पूंजीगत खर्च बढ़ाने की कम गुंजाइश

इस बार बजट में अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए खर्च बढ़ाने जैसे कदमों की उम्मीद कम है। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि सरकार के पास पैसे नहीं है। यदि सरकार ज्यादा कर्ज लेती  है, तो इससे निजी क्षेत्र की उधारी पर असर पड़ेगा।

कर्ज प्रवाह में बाधा

खपत घटने के चलते 2019 में बैंकों के कर्ज वितरण में बड़ी गिरावट आई है। पिछले बैंकों के कर्ज वितरण की ग्रोथ घटकर 7.1 प्रतिशत पर आ गई है,  जो एक दशक में दूसरी सबसे कम ग्रोथ है।

ढांचागत सुधार में लगेगा वक्‍त

मोदी सरकार ने 44 श्रम कानूनों को मिलाकर 4 कानून बनाकर ढांचागत सुधार की मंशा जताई थी। उल्‍लेखनीय है कि श्रम सुधार से जुड़े एक कानून को संसद की मंजूरी भी पिछले साल मिल चुकी है। लेकिन दूसरे ढांचागत सुधारों में समय लग सकता है।

 


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