नई दिल्ली, 29 जून (हि.स.)। पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच लगातार बढ़ रहे तनाव को दूर करने के लिए राजनीतिक, कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। इसी बीच क्रम में दोनों देशों के बीच लेफ्टिनेंट जनरल स्तर पर तीसरे दौर की बैठक भारतीय क्षेत्र के चुशुल में मंगलवार को फिर सुबह 10.30 बजे से होगी। दोनों देशों के बीच कोर कमांडर स्तर पर दूसरे दौर की बैठक ठीक एक हफ्ते पहले 22 जून को चीन के इलाके मॉल्डो में हुई थी जिसमें भारत ने चीन से दो टूक एलएसी से अपनी सेना हटाकर 2 मई से पहले की स्थिति बहाल करने को कहा था। इसके बावजूद चीन के सैनिक अभी भी वहीं पर जमे हैं जहां पिछली बैठक के समय थे।
गलवान घाटी में 15/16 जून की रात चीन और भारत के बीच हुई हिंसक भिड़ंत के बाद पहली बार 22 जून को चीन इलाके के चुशुल-मोल्दो में कोर कमांडर स्तर की बैठक हुई थी। इस वार्ता में भारत ने चीन से दो टूक कहा है कि पहले लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से अपने सेना हटाकर 2 मई से पहले की स्थिति बहाल करें, तभी आगे की बातचीत संभव है। इसके बावजूद वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर यथास्थिति में कुछ भी बदलाव नहीं आया है। मंगलवार की वार्ता भी लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की होगी, जो सुबह 10.30 बजे वास्तविक नियंत्रण रेखा के भारतीय क्षेत्र के चुशुल में होगी। इसमें भारत की तरफ से भारतीय सेना की 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह तथा चीन की तरफ से मेजर जनरल लिन लियू अपनी टीम की अगुवाई करेंगे। इससे पहले पिछले दो दौर की वार्ता चीनी पक्ष के मॉल्डो में हुई है। इन्हीं दोनों अधिकारियों के बीच 6 जून को पहले दौर की वार्ता हुई थी जिसमें बनी सहमति का चीन पक्ष से पालन नहीं किया गया जिसकी वजह से गलवान में भारत और चीन के सैनिकों में भिड़ंत हुई।
गलवान घाटी में गतिरोध को लेकर भारत ने बीजिंग को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा था कि मई की शुरुआत से ही चीन ने एलएसी पर भारी संख्या में युद्ध सामग्री और सैनिक जुटाकर गलवान घाटी में भारत की पारंपरिक गश्त को बाधित करने की कोशिश की। इसके साथ ही एलएसी की यथास्थिति को एकतरफा बदलने का प्रयास किया है जिसकी वजह से गलवान घाटी में भारतीय और चीन की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हुए। चीन की इस हिंसक कार्रवाई को लेकर भारत ने कूटनीतिक तथा सैन्य माध्यमों से विरोध दर्ज कराया था।