‘बेबस मजदूरों की कौन सुने फरियाद
भोपाल/जयपुर, 25 अप्रैल (हि.स)। देशभर में कोरोना (कोविड-19) वायरस का महासंकट चल रहा है, लॉकडाउन की स्थिति है, लोग परेशान हैं। इनमें सबसे अधिक कोई परेशान दिखाई दे रहा है तो वे मेहनतकश मजदूर हैं, जिनके हाथ हमारे लिए भव्य इमारते बनाने के लिए उठते हैं, वे हाथ जो खेतों में-खलियानों से अन्न निकालते हैं, वे हाथ जो हमारे लिए पत्थर तोड़ते हैं और पता नहीं हम सभी के सुख के लिए क्या-क्या नहीं करते। लेकिन कोरोना से पैदा हुई परिस्थितियों में दिल्ली से लेकर महाराष्ट्र तक में मजदूरों के पलायन के जो दृश्य दिखें, उसमें उन राज्यों के नेतृत्व की भी परीक्षा हो रही है, जहां के ये मूल निवासी हैं।
उत्तर प्रदेश की सरकार ने तो लॉक डाउन शुरू होने के तुरंत बाद ही हजारों हजार मजदूरों के पदैल मार्च को देखते हुए बसें लगा दी थीं, भले इसके चलते उसे कटघरे में खड़ा किया हो। उसी तर्ज पर अब मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार मजदूरों को सकुशल उनके घरों तक पहुंचा रही है। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री शिवराज की सरकार तो छात्र-छात्राओं, शिक्षकों और उन तमाम लोगों को भी सकुशल अपने राज्य में अपने ही साधनों से वापिस ला रहे हैं। वहीं दूसरी ओर राजस्थान की गहलोत सरकार है, जोकि अन्य राज्यों के मजदूरों के लिए कुछ दिन तक के लिए भोजन-पानी तक की समुचित व्यवस्था तक नहीं कर पा रही है, जिसके बाद यहां से अपने राज्यों के लिए मजदूरों का पलायन जारी है।
राजस्थान के जोधपुर के लोड़ी तहसील के एक छोटे से गांव गुड़ा में फंसे मध्य प्रदेश के 50 मजदूर ने थक हारकर अब शिवराज सरकार से मदद की गुहार लगाई है। इन मजदूरों में 10 छोटे बच्चे एवं 15 महिलाएं व एक बुजुर्ग भी है। कई मील पैदल चलने के बाद आज वे किसी तरह से इस गांव तक पहुंच सके हैं। मध्य प्रदेश की सीमा एवं इस ओर तरफ राजस्थान से लगने वाला जिला नीमच अभी भी यहां से कई किलोमीटर दूर है। मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले की थांदला तहसील में ग्राम खवासा के रन्नी संगत गांव के रहनेवाले इन आदिवासी मजदूरों ने बताया कि वे खेती मजदूरी करने के लिए राजस्थान के जैसलमेर गये थे। कोरोना वायरस के चलते लॉक डाउन के बाद से यह सभी मजदूर वहीं पर फंस गए, जिसके बाद उन्हें जब किसी की कोई मदद मिलती नहीं दिखी तो इन्होंने पैदल ही अपने प्रदेश में आने का निर्णय लिया।
मजदूरों ने फोन पर अपनी आप बीती बताते हुए कहा कि जैसलमेर रेगिस्तान के सूने मैदान में पैदल चलकर जोधपुर के फालौदी तहसील के मरला गांव तक पहुंच गए, उसके बाद आगे की यात्रा करते हुए हम शनिवार शाम को जोधपुर के गुड़ा विश्नोइन गांव पहुंच सके हैं। मजदूरों का आरोप है कि आदिवासियों के मुख्य सड़क पर दिखते ही राजस्थान पुलिस प्रशासन मारपीट कर रही है। हम गरीब मजदूर बहुत भयभीत हैं। समूह के सदस्य कैलाश मुणिया ने दूरभाष पर बताया कि पुलिस हमारे साथ में मारपीट कर रही है। हमें पीने के पानी की समस्या आ रही है। हमारा राशन भी अब समाप्त हो रहा है। हम अपने घर लौटना चाहते हैं।
वहीं, सुखलाल, भगर और रमेश आदिवासी का कहना है कि हमारे साथ समूह में महिलाएं व बच्चे भी चल रहे हैं। हमने पिछले दिनों रेगिस्तानी तूफान का सामना खुले मैदान में किया है। हमारी हालत बहुत बुरी हो चुकी है, अब हमें दूर-दूर तक अन्य कोई सहारा नजर नहीं आ रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज साहब ‘हमारे बच्चों के मामा’ कुछ रहम करें, हमें यहां से ले लाएं और किसी तरह अपने घरों तक पहुंचा दें।
इन आदिवासी लोगों में से कुछ के पास मोबाइल हैं, जिनके जरिए इन्होंने हिन्दुस्थान समाचार न्यूज एजेंसी तक अपने फोटो एवं वीडियो पहुंचाया है। प्रदेश सरकार अपनी मदद पहुंचाने के लिए 8815804718, 7354089213 के साथ ही इस गांव के स्थानीय निवासी करण विश्नोई 9571725629 पर संपर्क किया जा सकता है।
स्थानीय निवासी प्रेमराम बुढ़िया, करण विश्नोई का कहना है ये सभी आदिवासी भाई हमारे गांव आए हैं, अभी स्कूल में इनके रुकने की व्यवस्था की है। एसडीएम साहब से बात कर कोशिश करेंगे कि इन्हें जोधपुर तक पहुंचाया जा सके। फिलहाल गाड़ियां यहां से नहीं चल रही हैं। इनके लिए भोजन-पानी की व्यवस्था हम कर देंगे, यदि आपके मध्य प्रदेश से सरकार की सहायता इन्हें मिल जाए तो सबसे अच्छा होगा।