प्रवासियों का दर्द: एसी का टिकट और एडवांस पैसा भेजकर दिल्ली वाले बुलाने लगे हैं श्रमिकों को

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बेगूसराय, 30 जून (हि.स.)। देश के विभिन्न शहरों से वापस आए प्रवासियों के लिए बिहार सरकार ने मिशन मोड में योजना शुरू की है। केंद्र सरकार भी गरीब कल्याण रोजगार अभियान शुरू कर चुकी है। विभिन्न विभागों में काम दिलाने के लिए प्रशासन एक्टिव मोड में है। लेकिन इसके बाद भी बाहर जाने वाले लोगों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। विभिन्न शहरों में जलालत झेलकर घर वापस आए अधिकतर लोग अभी कुछ समय तक बाहर जाने के लिए तैयार नहीं हैं। हजारों लोगों को सरकारी योजना में भी काम मिला, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार अभियान में भी इन लोगों को तो मिलने की उम्मीद है। तीन महीने से बेरोजगार रहने के कारण आर्थिक जलालत झेलने वाले श्रमिक अब यहां रुकने को तैयार नहीं हो पा रहे हैं। उनकी आर्थिक स्थिति अत्यंत ही दयनीय हो गई है, जिसके कारण लोग देश के विभिन्न शहरों की ओर रुख करने लगे हैं।
हालांकि श्रमिकों के फिर परदेस वापसी का कारण सिर्फ उनकी आर्थिक स्थिति चरमराना ही नहीं है। जहां वे काम करते थे, उद्योग-धंधों के मालिक बिहारी श्रम शक्ति का साथ छूटने से काफी परेशान हैं। जिसके कारण घर आए श्रमिकों को वापस बुलाने के लिए दोगुना मजदूरी का प्रलोभन दिया जा रहा है। उनके आने के लिए ट्रेन में स्लीपर ही नहीं, ए.सी. के टिकट कटा कर भेजे जा रहे हैं, घर में पैसा की मजबूरी बताने पर एडवांस में दो महीने तक का मजदूरी दिया जा रहा है। मंगलवार को भी सहरसा-नई दिल्ली के बीच चलने वाली स्पेशल वैशाली एक्सप्रेस सुपरफास्ट से बेगूसराय के 50 से अधिक लोग दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के लिए रवाना हुए। दिल्ली जा रहे प्रमोद कुमार ने बताया कि वह वहां एक फैक्ट्री में लंबे समय से मुंशी का काम करते हैं। लॉकडाउन हो जाने के बाद स्थिति खराब हो गई तो दस लोगों ने मिलकर 40 हजार में एक गाड़ी किया और घर आ गए थे।
अनलॉक होने के बाद यहां ढंग का काम खोज ही रहे थे कि मालिक ने आने का दबाव दे दिया। अच्छा पैसा भी मिलेगा, टिकट मोबाइल पर भेज दिया गया था। जिसके कारण जा रहे हैं, दिल्ली जाने में डर लग रहा है, लेकिन यहां बैठकर क्या करेंगे। कब काम मिलेगा इसकी कोई गारंटी नहीं है। मनरेगा में कुछ लोगों को काम मिल रहा है लेकिन अधिक हाजिरी बना कर पैसे की लूट मचाई जा रही है। धान रोपने के लिए पंजाब जा रहे हैं अकलू दास, मोहित दास, बिनो दास आदि ने बताया कि हम लोग दिहाड़ी मजदूर हैं। जहां काम मिलता है करते हैं, दिल्ली स्थाई रूप से रहते हैं, लेकिन काम के लिए यूपी, पंजाब और हरियाणा भी जाते हैं। अभी धान रोकने का सीजन है तो पंजाब में जहां सब साल धान रोपने जाते थे, वहां सात सौ रुपया रोज मजदूरी देने की बात कही गई है तो जा रहे हैं।
यहां काम मिलेगा भी तो तीन सौ से अधिक नहीं मिलेंगे, इसमें गुजारा नहीं होगा। वैशाली एक्सप्रेस से हम आठ लोग दिल्ली जा रहे हैं, वहां भी कुछ साथी हैं, 20 लोग पंजाब के सूरजगढ़ में जाकर धान रोपनी करेंगे। तब तक दिल्ली की हालत ठीक हो गई तो दिल्ली में रहकर मजदूरी करेंगे, नहीं तो फिर गांव आएंगे और मुखिया जी से सरपंच जी से अनुनय विनय कर सरकारी योजना में काम करेंगे। अभी रोजी-रोटी का सवाल है तो जाना ही पड़ेगा। खेत मालिक ने टिकट भेज दिया है, रास्ता खर्च के लिए भी पैसे दिए गए हैं, सभी लोगों को घर में देने के लिए भी पांच-पांच हजार एडवांस भेज दिया गया है।

 


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