नई दिल्ली, 21 जुलाई (हि.स.) राजनीतिक क्षेत्र के लिए ऐसा शोकमय रविवार शायद ही पहले कभी आया हो। एक ही दिन में चार-चार राजनेताओं को अंतिम विदाई देनी पड़ी।
कांग्रेस, भाजपा, लोजपा और माकपा को एक साथ राजनीतिक क्षति का सामना करना पड़ा। हांलाकि कांग्रेस की कद्दावर नेता और दिल्ली की सर्वाधिक काल तक मुख्यमंत्री रहीं श्रीमती शीला दीक्षित का निधन 20 जुलाई को हो गया था। पर अंतिम संस्कार 21 जुलाई को ही हुआ। उनकी पार्थिव देह को लेकर अंतिम यात्रा जब कांग्रेस मुख्यालय से निगम बोध घाट को निकली तो जैसे पूरी दिल्ली ही ठहरी सी नजर आई। सब तरफ शोक। नम आंखों से लोगों ने दिल्ली के विकास का पर्याय बनी नेता श्रीमती शीला दीक्षित को विदाई दी।
देहदानी मांगेराम
जब दिल्ली अपने पूर्व मुख्यमंत्री को विदाई दे रही थी, उसी दिन सुबह दिल्ली प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष रहे मांगेराम गर्ग ने भी अंतिम सांस ली। मांगेराम गर्ग उन चुनौतीपूर्ण दिनों में भाजपा के अध्यक्ष रहे जब मदनलाल खुराना और साहिब सिंह वर्मा का नेतृत्व दिल्ली को नहीं मिल रहा था और पार्टी कमजोर होती जा रही थी। तब बेहद मिलनसार और सबको साथ लेकर चलने वाले मांगेराम गर्ग को पार्टी की कमान सौंपी गई।
दिल्ली भाजपा में स्व. मांगेराम का महत्व इसी से आंका जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्विटर पर मांगेराम गर्ग के साथ अपनी एक पुरानी तस्वीर साझा की है। उन्होंने अपने शोक संदेश में कहा, मांगेराम गर्ग का दिल्ली से गहरा नाता था और उन्हें शहर के लोगों की निस्वार्थ भाव से सेवा करते देखा गया था।
उन्होंने दिल्ली में भाजपा को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। स्व. मांगेराम गर्ग ने दधीचि देहदान समिति के आह्वान पर देहदान का संकल्प किया था। इसलिए दोपहर में पंत मार्ग स्थित भाजपा प्रदेश कार्यालय पर अंतिम दर्शन के पश्चात उनकी पार्थिव देह को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) को सौंप दिया गया। वे जीवन भर धर्मयात्रा महासंघ से समाज की सेवा करते रहे और मृत्यु के पश्चात भी अपनी देह परीक्षण के लिए सौंप गए ताकि चिकित्सकों के माध्यम से समाज लाभान्वित हो सके। चले गए
रामचंद्र पासवान
इसी रविवार को लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के वरिष्ठ नेता, सांसद और रामविलास पासवान के छोटे भाई रामचंद्र पासवान भी अचानक निधन हो गया। वे 57 वर्ष के थे । संसद के सत्र में भाग लेने दिल्ली आए रामचंद्र पासवान को बीती 10 जुलाई को हार्ट अटैक हुआ था। जिसके बाद उन्हें राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था । इसके बाद उनकी हालत नहीं सुधरी और रविवार को दोपहर 1 बजकर 30 मिनट पर उनके सांस की डोर टूट गई । इससे लोजपा सहित खासतौर पर रामविलास पासवान के परिवार में शोक की लहर दौड़ गई। वे रामविलास पासवन के सबसे छोटे भाई थे और चार बार के सांसद थे।
कामरेड राय का निधन
रविवार (21 जुलाई) को ही धनबाद लोकसभा क्षेत्र से तीन बार सांसद व सिंदरी से एक बार विधायक रहे कमरेड अरुण कुमार राय का निधन हो गया। कामरेड राय ने मार्क्सवादी समन्वय समिति नाम से राजनीतिक पार्टी बनाई थी, जो आज भी अस्तित्व में है। उनके सादगीपूर्ण जीवन की खास बात यह है कि उन्होंने पूर्व सांसद और पूर्व विधायक को मिलने वाली पेंशन और सुविधा लेने से मना कर दिया था। बाद में स्वास्थ्य कारणों से राजनीति की मुख्यधारा से अलग हो गए। कोयलांचल की राजनीति में बिनोद बिहारी महतो, कॉमरेड राय और शिबू सोरेन पुराने साथी थे। इन तीनों ने मिलकर वर्ष 1974 में झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठन किया था। बाद में मार्क्सवादी समन्वय समिति नाम की पार्टी बनाकर एके राय झामुमो से अलग हो गए थे।