अयोध्या/लखनऊ, 03 मई (हि.स.)। पौराणिक ग्रंथों में कहा गया है कि अयोध्या के कण-कण में भगवान श्रीराम का वास है। कुछ लोग भले ही इसे अतिशयोक्ति मानते हों, लेकिन अयोध्या पंचकोसी परिक्रमा पथ पर स्थित एक अलौकिक वृक्ष शास्त्रों के इस कथन को सत्य साबित करने के लिए पर्याप्त है।
अयोध्या नगर से सटे गोरखपुर-अयोध्या हाईवे के किनारे मौजूद गांव तकपुरा पूरे निरंकार के एक खेत में इस चमत्कारिक वृक्ष को देखा जा सकता है। आस-पास के लोग इसे ‘रामनाम वृक्ष’ कहकर पुकारते हैं। कदम प्रजाति के इस वृक्ष की जड़ और डालियों पर भगवान राम का नाम प्राकृतिक रुप से अंकित है। खास बात यह है कि समय के साथ-साथ इस पर अंकित राम नाम की संख्या बढ़ती जा रही है।
वृक्ष के नीचे लगता है मेला
अयोध्या की पंचकोसी परिक्रमा क्षेत्र की पावन परिधि में स्थित यह वृक्ष लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। इसके चमत्कारी प्रकृति के बारे में बिन देखे भले ही कोई विश्वास न करे, लेकिन यहां एक बार आने पर अथवा इस वृक्ष के चित्र को देखने मात्र से लोगों को इसकी अलौकिकता पर विश्वास हो जाएगा।
स्थानीय लोग बताते हैं कि वर्ष में एक बार इस वृक्ष के नीचे बड़ा मेला लगता है। यहां पर नियुक्त पुजारी प्रतिदिन निष्ठा भाव से प्रातः इस दर्शनीय वृक्ष की पूजा करते हैं। पितृ विसर्जन के अवसर पर भी इस वृक्ष के नीचे विशाल मेले का आयोजन होता है। मान्यता है की जो व्यक्ति इस वृक्ष की पूजा करता है, उसके सभी शारीरिक, मानसिक और आर्थिक कष्ट दूर हो जाते हैं और वे सुखी जीवन यापन करते हैं।
तीस वर्ष में वृक्ष की हर टहनी व पत्ती पर होगा श्रीराम का नाम
मानस मर्मज्ञ महंत कन्हैया दास जी की मानें तो ‘आज से तीस वर्ष पश्चात इस वृक्ष की हर टहनी और पत्तियों पर भगवान ‘श्रीराम’ का नाम लिखा मिलेगा। आज से लगभग तीस वर्ष पूर्व ऐसा ही एक वृक्ष प्राचीन एवं ऐतिहासिक मणि पर्वत के समीप था। जो सूख गया। उसके सूखने के उपरांत उसी प्रकार का यह वृक्ष स्वतःप्रकट हुआ है। उन्होंने कहा कि कलियुग में राम नाम की ही महिमा है, उसी का यह वृक्ष सूचक है।
स्थानीय लोगों के अनुसार दशकों पहले इस वृक्ष पर भगवान राम का नाम लिखा हुआ देखा गया। धीरे-धीरे ये संख्या बढ़ती चली गई और आज भी इसमें इजाफा जारी है। आस पास के लोगों को इस चमत्कार का जब पता चला तो उन लोगों में इस वृक्ष के प्रति आस्था बढ़ी और इसकी नित्य पूजा अर्चना आरंभ कर दी। इस समय कोरोना महामारी के कारण चल रहे लॉकडाउन में बाहर के श्रद्धालु नहीं आ पा रहे हैं। ऐसे में स्थानीय भक्त ही दर्शन पूजन अनुष्ठान करके अपनी श्रद्धानिवेदित कर रहे हैं।
क्या कहते हैं अयोध्या के संत और संगठन
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं मणिराम दास जी छावनी के महंत नृत्य गोपाल दास महाराज का कहना है कि यह दुर्लभ वृक्ष का प्रकटीकरण समस्त अयोध्या वासियों के लिए शुभ और आश्चर्य चकित करने वाला है। उन्होंने कहा कलिकाल में श्रीराम नाम ही समस्त जगत का कल्याण करेगा। यह तो साक्षात भगवत कृपा है कि अयोध्या में रामनाम को अंगीकार करने वाले वृक्ष की उत्पति हुई है। इसकी पूजा-अर्चना नित्य चलती रहनी चाहिए तथा भक्तों के दर्शनार्थ इसका व्यापक प्रचार- प्रसार भी होना चाहिए।
सदगुरूसदन गोलाघाट के महंत शियाकिशोरी शरण महाराज ने रामनाम वृक्ष को साक्षात भगवान का स्वरूप बताया और कहा कि अयोध्या की पवित्र भूमि के कण-कण में प्रभु का वास है। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) केन्द्रीय प्रबंध समिति के सदस्य पुरूषोत्तम नारायण सिंह ने ऐसे दुर्लभ वृक्ष की उपस्थित को कल्याणकारी और मंगलकारक बताया और कहा जो लोग तुष्टिकरण के कारण भगवान श्रीराम को काल्पनिक बताते रहे हैं, उन्हें अयोध्या की पवित्र धरती पर आकर इस पुण्यदायी वृक्ष को दिन में खुली आंखों से देखकर कर अपने पापों का प्रायश्चित करना चाहिए। उन्होंने सरकार से श्रीराम नाम अंकित वृक्ष को सुरक्षित,संरक्षित और क्षेत्र को विकसित करने की मांग उठाई है। विहिप के प्रवक्ता शरद शर्मा ने कहा कि सम्पूर्ण संसार में श्रीराम का निवास है। सब में भगवान विराजमान हैं और हमें उनको हाथ जोड़कर प्रणाम करना चाहिए।
उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य बोले, यह वृक्ष प्रभु प्रदत्त चमत्कार
उप्र के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने रामनाम अंकित इस वृक्ष को प्रभु प्रदत्त चमत्कार बताया है। कहा कि भारत की वसुंधरा अनेक चमत्कारों से परिपूर्ण है। अयोध्या तो साक्षात देव नगरी है। उन्होंने कहा बीस वर्ष पूर्व अयोध्या मेरी कर्मस्थली थी, तब मेरे संज्ञान में ऐसे वृक्ष की चर्चा नहीं आई लेकिन अब ज्ञात हुआ है, तो लॉकडाउन की समाप्ति के उपरांत ऐसे अद्भुत वृक्ष का दर्शन करने अवश्य आऊंगा।
श्री मौर्य ने कहा कि श्रीराम की शक्ति-भक्ति अतुलनीय है। जब राम-नाम अंकित एक-एक शिला विशाल, सागर में तैरकर, बांध का स्वरूप धारण कर सकती है,तो एक वृक्ष पर श्रीराम नाम का प्रकटीकरण उन्हीं की लीला का अंग हो सकता है।
वृक्ष के संरक्षण को लेकर उठी मांग
अयोध्या के संतों और विहिप के पदाधिकारियों ने इस दुर्लभ और अलौकिक वृक्ष के संरक्षण की मांग की है। इन लोगों का कहना है कि सरकार को इसकी व्यवस्था करनी चाहिए। इस संबंध में प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य का कहना है कि राज्य सरकार प्रारंभ से ही ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक साक्ष्यों को संरक्षण प्रदान करने के लिए संवेदनशील है। ऐसे दुर्लभ वृक्ष को हर प्रकार से स्थानीय जनप्रतिनिधियों व प्रशासनिक अधिकारियों से बातचीत करके उसका संरक्षण व संवर्धन किया जायेगा।