वन्य जीवों तथा पक्षियों के नियंत्रण के लिए अपनाये जाने वाले उपायों में ढील न दी जाए: डीजीसीए

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नई दिल्ली, 08 जून (हि.स.)। नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने सोमवार को एक सर्कुलर जारी कर हवाई अड्डा संचालकों को वन्य जीवों तथा पक्षियों के नियंत्रण के लिए अपनाये जाने वाले उपायों में कोई ढील नहीं देने की हिदायत दी है।

डीजीसीए ने जारी चेतावनी में कहा है कि हवाई अड्डों पर विमानों की आवाजाही में कमी और कर्मचारियों की कम संख्या को देखते हुये घासों की कटाई, पक्षियों की गतिविधियों पर निगरानी के लिए गश्ती आदि कम हो गई है। इससे हवाई अड्डा परिसर और उसके आसपास पक्षियों तथा वन्य जीवों की गतिविधियों में इजाफा हो सकता है। इसलिए हवाई अड्डा संचालकों को पहले की तरह ही पक्षियों, वन्यजीवों के नियंत्रण के उपाय जारी रखने की सलाह दी जाती है ।

डीजीसीए ने कहा कि पूर्व में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं जहां विमान ने टेक ऑफ या लैंडिंग के दौरान रनवे पर जानवरों को मारा है। ऐसी घटनाएं भी हुई हैं जहां पक्षी विमान के इंजन से उसके टेक ऑफ या लैंडिंग के दौरान टकराया है। नियामक (डीजीसीए) ने कहा कि उसके नियमों के अनुसार, एक हवाई अड्डा संचालक को “वन्यजीव और विमान के बीच टकराव की संभावना को कम करने” के उपायों को अपनाकर विमान संचालन के लिए जोखिम को कम करने के लिए कार्रवाई करनी चाहिए। इसलिए, हवाई अड्डे के संचालकों को सलाह दी जाती है कि वे पक्षी / वन्यजीव नियंत्रण उपायों पर काम करें और पक्षी / वन्यजीवों की निगरानी जारी रखें।
डीजीसीए ने कहा कि कई हवाई अड्डा आर्द्रभूमि या जल निकासी तालाबों के पास है, जिससे ये क्षेत्र हजारों प्रवासी पक्षियों को आकर्षक करते हैं। जिनमें जलपक्षी, शोरबीर, गूल और अन्य बड़े पक्षी शामिल हैं। दुर्भाग्य से ये वे पक्षी हैं जो विमान के लिए एक उच्च जोखिम पेश करते हैं।
उल्लेखनीय है कि दो महीने के अंतराल के बाद देश में गत 25 मई से घरेलू यात्री उड़ान संचालन को फिर से शुरू किया गया। देश में अनुसूचित अंतरराष्ट्रीय यात्री उड़ानें अभी भी निलंबित हैं। महामारी के बीच हमेशा की तरह मालवाहक उड़ानें, चिकित्सा निकासी उड़ानें और विशेष प्रत्यावर्तन उड़ानें देश में चल रही हैं।

 


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