आरा, 23 अक्टूबर (हि.स.)। सेक्स रैकेट कांड में आरजेडी विधायक अरुण यादव को गिरफ्तार न कर पाने पर कोर्ट में एक बार फिर पुलिस की फजीहत हुई। सुलहनामा पर आरोपित राजद विधायक के हस्ताक्षरयुक्त कागजात कोर्ट में प्रस्तुत करने के दौरान कोर्ट ने पुलिस के आईओ को फटकार लगाई। कोर्ट ने अब तक राजद विधायक के वेतन रोकने पर कार्रवाई न करने पर भी पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाये।
बुधवार को बहुचर्चित सेक्स कांड में पुलिस नेे कोर्ट में कार्रवाई के संबंध में अपडेट रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी है। आरा कोर्ट में इस मामले में सुलहनामा डाले जाने और आरोपित विधायक के हस्ताक्षरयुक्त कागजात प्रस्तुत करने पर कोर्ट ने नाराजगी जताई।
पॉक्सो के विशेष जज सह फर्स्ट एडीजे आरके सिंह ने पुलिस आईओ से कई सवाल भी पूछे। इस संबंध में पीपी सरोज कुमारी ने बताया कि कोर्ट ने आईओ से पूछा कि सुलहनामा पर फरार चल रहे विधायक का भी हस्ताक्षर हैंं। यह कैसे हो गया। कोर्ट ने सवाल किया कि आखिर पुलिस को विधायक का पता क्यों नहीं चल रहा है। इस पर अनुसंधानकर्ता ने अनभिज्ञता जाहिर की।
इसके बाद कोर्ट ने सवाल किया कि विधायक के वेतन भुगतान पर रोक लगाने को लेकर कार्रवाई क्यों नहीं की गयी। वेतन तो विधायक की चल संपत्ति है। इस दौरान कोर्ट जानना चाह रहा था कि विधायक की पत्नी के आवेदन पर उनके घर की कुर्की रोक दी गयी। लेकिन विधायक के वेतन भुगतान पर रोक नहीं लगायी जा सकी। इस पर अनुसंधानकर्ता ने बताया कि वेतन भी चल संपत्ति है, इस बारे में उनको जानकारी नहीं थी। जानकारी के अनुसार इस चर्चित मामले में दो दिन पहले सुलहनामा डाला गया है। उस पर राजद विधायक अरुण यादव के हस्ताक्षर हैंं।
उल्लेखनीय है कि आरा की एक किशोरी से राजधानी पटना में देह व्यापार का धंधा कराया जाता था। उस मामले में संदेश के राजद विधायक अरुण यादव व मनरेगा के एक इंजीनियर सहित कुछ अन्य लोगों का नाम आया था। इस मामले में विधायक व इंजीनियर पर किशोरी के साथ दुष्कर्म करने का आरोप लगा है। पुलिस ने इंजीनियर और सेक्स रैकेट के मास्टर माइंड सहित चार आरोपिताें गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है, जबकि विधायक सहित तीन अन्य आरोपित अभी भी फरार चल रहे हैं।