अयोध्या मंदिर का मॉडल बनाने वाले कलाकार चंद्रकांत सोमपुरा की कला दिखती है नागदा में

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नागदा, 11 नवम्बर (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद अयोध्या में राममंदिर के माडल के आर्किटेक्ट चंद्रकांत सोमपुरा का नाम सुर्खियों में आया है।  मीडिया में बताया जा रहा है कि आर्किटैक्ट चंद्रकांत सोमपरा ने अयोध्या मंदिर का नक्शा तैयार किया था। इस कलाकार की एक उत्कृष्ट कलाकृति मप्र में उज्जैन जिले में स्थित नागदा नगर में है। यहां के बिड़ला मंदिर का निर्माण इसी कलाकार (शिल्पकार) ने किया था। नागदा की धरा पर इस कलाकार का जीवित संपर्क वषों तक रहा। यहां की जमीं पर बैठकर इस शख्स के निर्देशन में लगभग आठ वर्षो में शेषशायी मंदिर का निर्माण हुआ था। नागदा की यह कला आज देश भर में परवान चढ़ी हुई है।
यह मंदिर आज समूचे देश में उत्कृष्ट शिल्पकला के रूप मेें बिड़ला मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर का निर्माण फरवरी 1978 में 42 वर्ष पहले पूरा हुआ था। लगातार आठ वर्षो तक मंदिर का कार्य चला था। इस खबर के लेखक को इस हस्ती के दर्शन करने का अवसर भी मिला था।
74 वर्ष के सेवानिवूत इंजीनियर ग्रेसिम उद्योग के सेवानिवृत 74 वर्षीय इंजीनियर राजेद्र प्रसाद दातरे से  इस कलाकार से जुड़ी यादों को ताजा करने के लिए संपर्क किया तो उन्होंने बताया एक अप्रैल 1968 में उन्होंने नागदा के तत्कालीन ग्वालियर रेयान अब ग्रेसिम उद्योग में इंजीनियर के पद पर नौकरी ज्वाइन की थी। शिल्पक्ष चंद्रकांत सोमपुरा को नागदा की धरा पर कार्य करते देखा था। उस समय पत्थरों को स्पाट पर ही तराशा जाता था। बल्ली बांधकर कारीगर लोगों को मंदिर बनाते देखा है। पत्थरों पर नक्काशी भी यहां हुआ करती थी। दातरे ने बताया कि सोमपूरा जब यहां से कार्यपूरा कर जब गए तब अपने एक परिवार के सदस्य को उद्योग में नौकरी लगाकर गए थे। शायद वह शख्स भी अब चले गए हैं।
इस प्रकार नागदा आए थे चंद्रकांत सोमपूरा
अयोध्या मंदिर के आर्किटेक्ट चंदकांत का नागदा आने के पीछे कहानी यह हैकि मिली देश के जाने-माने उद्योगपति दिवंगत घनश्यामदास बिड़ला ने चंबल तट स्थित नागदा में पानी की सुविधा को देखते हुए ग्वालियर रेयान के नाम से 1954 में कारखाना डाला था। धार्मिक प्रवृति एवं के बिड़ला का इस शहर से ऐसा रिश्ता हुआ कि 1970 के लगभग एक भव्य कलात्क मंदिर का निर्माण नागदा में स्थापित करने  का निर्णय लिया। मंदिर बनाने की जिम्मेदारी देश के जाने-माने शिल्पी बलवंत राव को सौंपी थी। लेकिन मंदिर निर्माण योजना के मुर्तरूप लेने के पूर्व ही उनका निधन हो गया। बाद में बलवंत राव के पिता पद्मश्री स्वं  प्रभाशंकर ओधड़भाई सोमपूरा एवं उनके प्रपोत्र चंद्रकांत  के निर्देश में यहां पर मंदिर का निर्माण हुआ। चंद्रकांत के परदादा देश के ख्यात शिल्पज्ञ थे। भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित किया था। उन्होंने शिल्पकला पर कई पुस्तकें भी लिखी हैं।
चंद्रकांत की नागदा स्थित कला पर एक नजर
बिड़ला मंदिर नागदा में मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा 26 फरवरी 1978 को तथा शिलारोपण विधि 23 फरवरी 1970 को हुआ। इसमें कुल 37 हजार घनफुट, जिसमें 26 हजार तीओरी, 11 हजार हिंडौल राजस्थानी पत्थरों का उपयोग किया गया। संगमरमर की बात की जाए तो 28 हजार घनफुट मकराना एवं राजस्थानी लगाया गया। मंदिर मंच का क्षेत्रफल 29 हजार 530 वर्गफुट तथा ऊंचाई 81 फीट है।
इन दिनों अयोध्या मंदिर के आर्किटैक्ट लगभग 76 वर्ष के हो चुके हैं। जब वे नागदा मंदिर बनाने आए थे, तब लगभग 45 वर्ष पुराना इतिहास है। उस समय उनके युवाकाल की उनके दादा प्रभाशंकर सोमपुरा के साथ की तस्वीर हिन्दुस्थान समाचार संवाददाता नागदा को हाथ लगी है।

 


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