लेह के आर्मी अस्पताल पर उठ रहे सवालों को सेना ने बताया दुर्भावनापूर्ण
नई दिल्ली, 04 जुलाई (हि.स.)। गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ खूनी संघर्ष में घायल जवानों से मिलने के लिए शुक्रवार को प्रधानमंत्री के जाने के बाद से लेह स्थित आर्मी अस्पताल पर उठ रहे सवालों को भारतीय सेना ने दुर्भावनापूर्ण बताया है।
सेना ने शनिवार को एक बयान में कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 03 जुलाई, 2020 को लेह के जिस जनरल अस्पताल में घायल सैनिकों को देखने गए थे, वहां उपलब्ध सुविधाओं की स्थिति के बारे में कुछ वर्गोंं द्वारा दुर्भावनापूर्ण और निराधार आरोप लगाए गए हैं। सेना की ओर से कहा गया है कि बहादुर सैनिकों के उपचार की व्यवस्था को लेकर आशंकाएं व्यक्त किया जाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। सशस्त्र बलों द्वारा अपने सैनिकों के उपचार के लिए हर संभव बेहतरीन सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं।
स्पष्टीकरण में आगे कहा गया है कि जनरल अस्पताल के जिस वार्ड में गलवान के घायलों को चिकित्सा सेवाएं दी जा रही हैं, वह कोविड की वजह से आपात स्थितियों में 100 बिस्तरों की विस्तार क्षमता का हिस्सा है और पूरी तरह से अस्पताल के सामान्य परिसर में ही है। सेना ने कहा है कि कोविड प्रोटोकोल के तहत जनरल अस्पताल के कुछ वार्डों को आइसोलेशन वार्ड में परिवर्तित करना पड़ा है। इस अस्पताल को कोविड स्पेशल बनाए जाने के बाद आमतौर पर प्रशिक्षण ऑडियो-वीडियो हॉल के रूप में उपयोग किए जाने वाले स्थान को वार्ड में परिवर्तित कर दिया गया है। कोविड प्रभावित क्षेत्रों से आने के बाद क्वारंटीन में रखे जाने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए गलवान के घायल बहादुर सैनिकों को इसी हॉल में रखा गया है। थल सेनाध्यक्ष जनरल एम एम नरवणे और सेना के कमांडर भी घायल सैनिकों से मिलने इसी हॉल में गए थे।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री के दौरे के बाद सोशल मीडिया पर लेह के आर्मी अस्पताल के बारे में तमाम तरह के संदेश वायरल हुए हैं जिसमें सवाल उठाए जा रहे हैं कि वार्ड में सैनिकों के बेड के पास दवाई की टेबल, ग्लूकोस की बोतल, बोतल टांंगने वाला स्टैंड, मॉनिटर, नर्स, डॉक्टर और पेशेंट के चप्पल तक भी दिखायी नहीं दे रहे हैं। घायल जवानों से माइक के जरिए मोदी का बात करना भी लोगों को अखर रहा है, इसीलिए सेना की ओर से यह बयान जारी करना पड़ा है।