अलवर, 06 अक्टूबर (हि.स.)। देश में उप्र के हाथरस गैंगरेप का मामला सुर्खियों में है, इसी बीच राजस्थान के बहुचर्चित गैंगरेप प्रकरण में भी न्यायालय का फैसला आ गया है। मंगलवार को अलवर जिला मुख्यालय पर स्थित विशेष न्यायालय ने थानागाजी गैंगरेप प्रकरण में सभी पांचों आरोपितों (एक नाबालिग आरोपी का प्रकरण अलग से विचाराधीन) को दोषी करार दिया गया है।
न्यायालय ने दुष्कर्म के चार आरोपितों छोटे लाल (22), हंसराज गुर्जर (20), अशोक कुमार गुर्जर (20) और इंद्रराज सिंह गुर्जर (20) को आजीवन कारावास व एक-एक लाख रुपये के आर्थिक दंड की सजा सुनाई है। जबकि घटना का वीडियो वायरल करने वाले आरोपी मुकेश को पांच साल के कारावास की सजा से दंडित किया गया है।
उल्लेखनीय है कि थानागाजी में 26 अपै्रल 2019 को कुछ लोगों ने बाइक पर जाते एक दम्पति को बंधक बनाकर महिला से गैंगरेप किया था। इस घटना की रिपोर्ट घटना का वीडियो वायरल होने के बाद दर्ज की गई थी। थानागाजी में एक नाबालिग सहित कुल 6 आरोपितों के खिलाफ 02, मई 2019 को गैंगरेप का यह मामला दर्ज हुआ। इस घटना पर देशभर में प्रतिक्रिया हुई और पुलिस की लापरवाही को लेकर कई दिनों तक धरना-प्रदर्शन जारी रहे। कांग्रेस के बड़े नेता राहुल गांधी भी पीड़िता व उसके परिजनों से मिलने थानागाजी आए थे। राज्य सरकार ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए आरोपितों को गिरफ्तार कराया तथा पीड़िता की मदद की। जांच अधिकारी एवं उनकी टीम ने काफी मेहनत कर 16 दिन बाद ही चालान पेश कर दिया। अब घटना के करीब 528 दिन में विशिष्ट न्यायालय के न्यायाधीश बृजेश कुमार ने फैसला सुनाया है। वहीं लोकसभा चुनाव के दौरान इस मुद्दे को लेकर काफी विरोध हुआ था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने चुनावों के दौरान एफआईआर में देरी को लेकर राजस्थान सरकार को आड़े हाथ लिया था। इस घटना को लेकर राजस्थान सरकार की काफी आलोचना की गई थी।
घटना की वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर करने से पहले राजस्थान सरकार ने कोई एक्शन नहीं लिया था। जिस पर राजस्थान सरकार की काफी किरकिरी हुई थी। महिला के साथ इस जघन्य अपराध को करने से पहले उन्होंने महिला के पति को पीटा और इसकी घटना को कैमरे में कैद कर लिया। आरोपितों ने महिला से वीडियो सोशल मीडिया पर ना डालने के लिए दस हजार रुपये की मांग भी की थी। थानागाजी गैंगरेप प्रकरण में अभियोजन पक्ष की ओर से लोक अभियोजक कुलदीप जैन ने तथा आरोपियों की ओर से एडवोकेट भूपसिंह पोसवाल, भूपेंद्र खटाणा व महेश गोठवाल ने पैरवी की।