आरा, 01 जुलाई(हि.स.)। रणवीर सेना सुप्रीमो बरमेश्वर मुखिया हत्याकांड में सीबीआई सात साल बाद भी कातिलों तक पहुंचना तो दूर उनके बारे में कोई सुराग नहीं ढूंढ सकी है। अब सीबीआई ने एक बार कातिलों के बारे में सुराग देने वालों को दस लाख रुपये का इनाम देने की घोषण की है। सीबीआई की ओर से आरा शहर समेत अन्य सार्वजनिक स्थानों पर एक बार फिर इस आशय के पोस्टर लगाए गए हैं।
पोस्टर के माध्यम से सीबीआई ने आम लोगों से अपील की है कि इस हत्याकांड को सुलझाने में उनकी मदद करें। सीबीआई ने इस हत्याकांड से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी देने पर उन्हें दस लाख रुपये का इनाम दिए जाने की बात कही है। यही नहींं सूचना देने वाले का नाम व पता सार्वजनिक नहींं करने और पूरी तरह नाम को गोपनीय रखने की भी बात कही गई है। इस हत्याकांड में अहम जानकारी देने के लिए दो बेसिक टेलीफोन नंबर एवं एक मोबाइल नंबर भी दिए गए हैं। पुलिस अधीक्षक, केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो, विशेष शाखा पटना के नाम से चिपकाए गए पोस्टर पर सूचना देने के लिए मोबाइल नंबर- 9415609325 तथा टेलीफोन एवं फैक्स नंबर- 0612-2239711, 2235588 एवं 2235599 जारी किया गया है। विदित हो कि तीन साल पहले भी सीबीआई ने सुराग पाने के लिए दस लाख रुपये इनाम घोषित किया था और इसके लिए पोस्टर भी चिपकाने के अलावा अखबारों में विज्ञापन भी प्रकाशित कराया गया था।
गौरतलब है कि पवना थाना क्षेत्र के खोपीरा गांव निवासी बरमेश्वर नाथ सिंह उर्फ बरमेश्वर मुखिया की हत्या आरा के कतीरा -स्टेशन रोड स्थित आवास पर कर दी गई थी। एक जून 2012 की सुबह जब वे आवास के बाहर टहल रहे थे , उसी समय उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। बरमेश्वर मुखिया की हत्या के बाद आरा के नवादा थाना में एफआईआर हुई थी। अनुसंधान के दौरान आठ लोगों केे विरुद्ध आरोप-पत्र दाखिल किया गया था। हत्या के बाद उभरे जनआक्रोश को देखते हुए पूरे मामले की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंप दिया गया था।18 जुलाई वर्ष 2013 से सीबीआई ने इस केस की जांच शुरू की थी। लेकिन, जांच प्रक्रिया के सात साल गुजरने के बाद भी सीबीआई इस केस में किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी है। सीबीआई के केस लेने के बाद जेल में बंद आरोपितों को एक-एक कर कोर्ट से जमानत मिल गई थी। रणवीर सेना सुप्रीमो बरमेश्वर सिंह मुखिया की हत्या को लेकर सीबीआई ने पूर्व में मुख्य रूप से तीन बिन्दुओं पर जांच की थी, जिसमें हथियार संबंधी विवाद, संगठन के अंदर वर्चस्व से लेकर भाकपा-माले से चली आ रही प्रतिशोध की लड़ाई से जोड़कर देखा गया। पूर्व में संगठन के अंदर हुई हत्याओं को भी आधार मान कर जांच चली। पूछताछ के लिए कुछ लोगों को पटना भी बुलाया गया था। जांच हुई पर कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिला था। पहली बार वर्ष 2016 में बरमेश्वर मुखिया हत्याकांड में कातिलों का सुराग बताने वालों को दस लाख इनाम देने की घोषणा की गई थी। उस समय सीबीआई के पास कई फोन कॉल आए थे, जो भी सूचनाएं आई उन सभी की गंभीरता से जांच कराई गई थी। लेकिन ठोस साक्ष्य नहीं मिले थे।