पटना, 28 जून (हि.स.)। उम्मीद थी कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव बिहार विधानसभा का मॉनसून सत्र शुरु होते ही पटना पहुंच जाएंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अभी भी वह अज्ञातवास पर ही है और राजद के तमाम नेता इस विषय पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। वैसे विधानसभा के बाहर संवाददाताओं के बार-बार पूछने पर शुक्रवार को पूर्व मुख्यमंत्री व राजद की वरिष्ठ नेता राबड़ी देवी ने यह जरुर कहा कि आपलोगों को चिंता करने की जरुरत नहीं है, तेजस्वी यादव जहां भी हैं अपना काम कर रहे हैं, बैठे हुये नहीं हैं । ऐसे में सवाल उठता है कि नेता प्रतिपक्ष के तौर पर विधानसभा में मौजूद रहने से भी ज्यादा महत्वपूर्ण काम तेजस्वी यादव के लिए और क्या हो सकता है? लोकसभा चुनाव में जबरदस्त शिकस्त के बाद राजद के तमान नेताओं और कार्यकर्ताओं का मनोबल पहले से काफी गिरा हुआ, और अब तेजस्वी यादव के लंबे समय से लापता होने की वजह से जिस तरह से सियासी गलियारों में तरह- तरह की बातें हो रही हैं उससे उनकी स्थिति और भी खराब होती जा रही है। राजद के कार्यकर्ता और नेता समेत पार्टी के तमाम विधायक तेजस्वी यादव को लेकर असमंजस की स्थिति में हैं , जिसका असर एक मजबूत विपक्ष के तौर पर सदन के अंदर राजद की भूमिका पर पड़ रहा है।
राजद के कई विधायक और नेता भी इस बात को दबी जुबान से स्वीकार कर रहे हैं कि मौनसून सत्र की शुरुआत में तेजस्वी की अनुपस्थिति की वजह से विपक्ष की पूरी रणनीति बिखरी हुई- सी प्रतीत हो रही है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि संख्याबल के लिहाज से राजद की स्थिति विपक्ष के तौर पर विधानसभा में काफी मजबूत है लेकिन मुद्दों को लेकर सटीक रणनीति न होने की वजह से राजद विपक्ष के किरदार को ठीक से निभाने की स्थिति में नहीं है। जानकारों का कहना है कि अपने नेता के अनुपस्थिति में मुजफ्फरपुर सहित उत्तर बिहार के विभिन्न जिलों में चमकी बुखार से लगभग 200 बच्चों की मौत को मुद्दे को लेकर राजद न तो सड़कों पर ठीक से जूझ पा रहा है और न ही सदन के अंदर मजबूती से जूझने की मानसिकता में दिख रहा है। अब तक चमकी बुखार को लेकर राजद की ओर से सड़कों पर जितने भी धरना- प्रदर्शन हुये हैं उनसे तेजस्वी यादव और उनके परिवार के लोग दूर ही रहे हैं। सड़कों पर राजद कार्यकर्ताओं के साथ या तो राजद के महासचिव आलोक मेहता नजर आये हैं या फिर प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे। तेजस्वी यादव या फिर तेज प्रताप यादव इस तरह के प्रदर्शनों में कहीं नहीं दिखे। राजद की ओर से अस्पतालों की बदइंतजामी और स्वास्थ्य मुद्दों को लेकर सरकार की नाकामी पर थोड़ा बहुत हो हल्ला तो किया गया लेकिन इसे लेकर कोई बड़ा आंदोलन खड़ा करने के बारे में नहीं सोचा गया, जबकि चमकी बुखार से मरने वाले ज्यादातर बच्चे गरीब तबकों के थे, जिनके हक की लड़ाई लड़ने का राजद दम भरता रहा है। बेबाक शब्दों में कहा जा सकता है कि जिस वक्त इस तबके को तेजस्वी यादव की सबसे ज्यादा जरुरत थी उस वक्त वह लापता रहे। इस मसले को लेकर सड़क पर उतर कर संघर्ष करने की बात तो दूर, समय पर आकर सदन में भी लड़ने- भिड़ने की रणनीति बनाने की जहमत नहीं उठाई।
बिहार के विभिन्न जिलों में बढ़ता अपराध एक अहम मसला हो चुका है। राजधानी पटना में ही हथियारों से लैस पेशेवेशर अपराधियों की फौज दिनदहाड़े गहनों की एक दुकान को लूटकर गधे के सिर से सींग की तरह गायब हो जाती है और पुलिस हाथ मलती रह जाती है, जबकि खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस वारदात के कुछ दिन पहले पुलिस के आला अधिकारियों के साथ बैठक करके सूबे में अपराधियों को काबू में करने की हिदायत दे चुके होते हैं।राजद की ओर से राज्य में संगठित अपराध को लेकर सरकार के खिलाफ अभी तक कोई मुहिम नहीं छेड़ी गई। मॉनसून सत्र के दौरान भी राजद की ओर से विधानसभा में इस मुद्दे को लेकर कोई सुगबुगाहट नहीं दिख रही है, जबकि बेलगाम अपराधियों की वजह से बिहार में खौफ का माहौल बनता जा रहा है। जानकारों का कहना है कि ऐसी स्थिति में राबड़ी देवी का यह कहना कि तेजस्वी यादव अपने काम में लगे हुये हैं, राजद के नेताओं और विधायकों को कहीं न कहीं असहज करता है। वे खुद जानना चाहते हैं कि तेजस्वी यादव कहां और क्या कर रहे हैं, लेकिन पार्टी के अंदर यह सवाल पूछने की हिम्मत उनके अंदर नहीं है।