नीतीश जी, बहुत देर कर दी! हाहाकार मचा तो अब अधिकारियों को हड़का रहे हैः तेजस्वी

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पटना, 26 जुलाई (हि स)। बिहार में जब सबकुछ लूट चुका हैलोग बेमौत मर रहे हैंइस तरह हो रही मौत से चारो तरफ हाहाकार मच गया है। इसकी खबर पर जब बवाल मची तब जाकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नींद खुली है। अपनी थू-थू जब होने लगी तो अब वे अधिकारियों की क्लास लगा रहे हैं और कार्रवाई की चेतावनी दे रहे हैं। मुख्यमंत्री ने अब यह स्वीकार कर लिया है कि कोरोना संकट में बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था बेपटरी हो गई है। तैयारी के लिए महीना का समय मिलने के बाद भी हमारे अधिकारियों ने कुछ नहीं किया।इसीलिए मीटिंग में कह रहे कि दिल्ली जैसा राज्य प्रतिदिन 28 हजार कोरोना सैंपल की जांच कर सकता है तो बिहार में क्यों नहीं हो सकता। अब खींझ मिटाने के लिए सीएम अधिकारियों की क्लास लगा रहे हैं। अगर सीएम नीतीश यह सख्ती पहले दिखाये होते तो शायद यह नौबत नहीं आती। अब जब हालात बिगड़ गए हैं तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जांच से लेकर किट तक बढ़ाने का आदेश दे रहे हैं। अब वे हर बेड पर ऑक्सीजन लगाने से लेकर सभी जिलों में व्यवस्था करने के आदेश दे रहे हैं। 

वैसे मुख्यमंत्री ने कोरोना जांच का सैंपल प्रतिदिन 10 हजार करने का आदेश दिया था।लेकिन उस आदेश पर एक डेढ़ महीने बाद अमल हुआ अभी से कुछ दिन पहले जांच की संख्या 10 हजार पार हुई है।तेजस्वी यादव लगातार सरकार से मांग करते रहे कि जब दूसरे राज्यों में सैंपल जांच में तेजी लाई जा सकती है तो फिर बिहार में क्यों नहीं अगर व्यवस्था नहीं है तो व्यवस्था करिए लेकिन बिहार के लोगों की जान से खिलवाड़ मत करिए।लेकिन सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया। अब जब हालात हाथ से निकल गए हैं,लोग बिना इलाज मर रहे हैं तब सीएम नीतीश स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव की क्लास लगा रहे हैं।

सीएम नीतीश ने शनिवार को अपना आपा खो दिया और स्वास्थ्य प्रधान सचिव की जमकर क्लास लगा दी।दरअसल स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कैबिनेट मीटिंग के दौरान ही अपने प्रधान सचिव की मुख्यमंत्री के सामने शिकायत कर दी।मंगल पांडेय ने कहा कि प्रधान सचिव उनकी बात सुनते ही नहीं हैं वे सिर्फ मनमानी करते हैं।इसके बाद मुख्यमंत्री हत्थे से उखड़ गए और स्वास्थ्य प्रधान सचिव को जमकर फटकार लगाई।सीएम नीतीश ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को कड़े लहजे में चेतावनी देते हुए कहा कि RTPC टेस्ट 20 हज़ार प्रतिदिन नही हुआ तो कारवाई करेंगे।अगर आपसे विभाग नही संभालता तो छोड़िये विभाग को। सीएम ने कहा कि जब दिल्ली में रोज 38 हज़ार टेस्ट हो सकता है तो बिहार में क्यों नहीकिसी भी हाल में मरीजों का जांच हो, जो भी जांच कराना चाहे सबो की हो जाँच।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मसले पर कहा कि अनुमंडल स्तरीय हॉस्पिटल में 100 बेड की व्यवस्था हो।हर बेड पर ऑक्सीजन की भरपूर व्यवस्था होनी चाहिए।जिलों के मरीजों को उनके जिले में ही इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित कीजिए। सीएम ने कहा कि पिछले 14 साल में मेरे सामने ऐसे परिस्थिति नही आई.जल्द से जल्द जांच बढ़ायें नहीं तो कड़ी से कड़ी कारवाई के लिए तैयार रहिए।

 


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